Sunday, April 7, 2024

विराम चिह्न ‘Punctuation

 विराम चिह्न /Punctuation 



छोड़ो मत मारो  मोटे वाक्यों को आप निम्न में से किसी एक प्रकार से पढ़ सकते हैं। 

"छोड़ो ,मत मारो  ।"

 " छोड़ो मत, मारो ।"

लेकिन दोनों बार ही उनका अर्थ भिन्न होगा। 

उपरोक्त दोनों वाक्यों में समान ही शब्द लिखे गए हैं किन्तु विराम चिह्‍न के अलग-अलग स्थान में प्रयोग होने से इनके अर्थ में विरोधाभास उत्पन्‍न हो गया है । इस उदाहरण से हम विराम चिह्‍न के महत्‍त्व को समझ सकते हैं ।

बोलते समय हम कुछ शब्दों या वाक्यांश में थोड़ा रुकते हैं या विराम लेते हैं , जिससे हमारी बात दूसरे व्यक्ति को ठीक से समझ आ जाए । लिखते समय भी हमें यह स्पष्ट करना होता है । अत: लिखते समय इस रुकने के समय को दर्शाने के लिए विराम चिह्नों की सहायता ली जाती है ।

विराम का अर्थ है रुकना या ठहराव या विश्राम । लिखते समय विराम दर्शाने के लिए जिन विभिन्‍न चिह्‍नों की मदद ली जाती है , उन्हें ही विराम चिह्‍न कहा जाता है । अत: स्पष्ट है -

बोलते , पढ़ते या लिखते समय विभिन्‍न भावों को स्पष्ट करने के लिए रुकने की प्रक्रिया दर्शाने के लिए प्रयुक्त चिह्‍नों को विराम चिह्‍न कहते हैं ।

हिंदी या संस्कृत की मूल शैली में विराम चिह्नों का उपयोग नहीं किया जाता था । छंदों में यथा श्लोक या दोहा आदि में पूर्ण विराम का एक या दो बार प्रयोग किया जाता था। जैसे दोहे /श्लोक की प्रथम पंक्ति में के अंत में एक खड़ी रेखा और दूसरी पंक्ति के अंत में दो ख्ड़ी रेखाएं बनाने का प्रचलन था। बाद में अंग्रेजी के प्रभाव से अन्य विराम चिह्नों का उपयोग किया जाने लगा।

अहं रामस्य दासा ये तेषां दासस्य किङ्कर: ।

यदि स्यां सफलं जन्म मम भूयान्न संशय: ॥

श्री कामता प्रसाद गुरु भी विराम चिन्हों को अंग्रेजी से लिया हुआ मानते हैं। वे पूर्ण विराम को छोड़ शेष सभी विराम चिन्हों को अंग्रेजी से संबद्ध करते हैं।हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाले विराम चिह्‍न नीचे तालिका में दिए गए हैं -

क्रम           विराम चिह्न नाम       विराम चिह्न
     1        अल्पविराम           (,)
      2       अर्द्धविराम           (;)
      3       पूर्ण विराम या विराम           (।)
      4      प्रश्नवाचक             (?)
       5     आश्चर्य या विस्मय सूचक            (!)
       6     निर्देशक चिन्ह / योजक चिन्ह /सामासिक चिन्ह            (-)
      7     कोष्ठक    [ ],  {  },  ( )  
      8     अवतरण/उद्धरण     ("") (' ')
      9      उप विराम       (:)
    10      विवरण चिन्ह       ( :- )
    11       पुनरुक्ति सूचक चिन्ह       ("  " )
    12        लाघव चिन्ह        (० )
     13      पद्लोप चिन्ह        ( ... )
     14     पाद चिन्ह        ( - )
     15      दीर्घ उच्चारण चिन्ह         (ડ) 
     16       पाद बिंदु         (÷)
     17   विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह / हंसपद         ( ^  )
     18     टीका सूचक       (*, +, +, 2)
    19     तुल्यता सूचक       ( = )
     20      समाप्ति सूचक चिन्ह        (-0-, —) 

1. अल्प विराम : वाक्य में आए हुए एक ही प्रकार के पदों , पदबंधों अथवा उपवाक्यों को अलग करने के लिए अल्पविराम (,) चिह्न का प्रयोग किया जाता है । यथा-

शशि , शीतल ,शिखा और शीला सगी बहनें हैं। (पद)

राम ,सीता और लक्षमण वन को गए । (पद)

मोहन का छोटा भाई , बड़ा भाई और श्याम मंदिर गए ।(पदबंध)

2. अर्द्ध विराम :वाक्य में जहाँ पूर्ण विराम से कम और अल्प विराम से अधिक रुकना होता है वहाँ अर्द्ध विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है । यथा-

जैसे ही मुझे नौकरी मिलेगी ; आपका कर्ज़ चुकता कर दुँगा ।

सूर्यास्त हो गया; लालिमा का स्थान कालिमा ने ले लिया ।

सतत आगे बढ़ना ही जीवन है ; रुकना मृत्यु ।

3.पूर्णविराम ( । ) : इसका प्रयोग वाक्य के अंत में होता है । प्रश्‍नसूचक चिह्‍न और विस्म‍यादिबोधक वाक्यों के अतिरिक्त अन्य सभी वाक्यों के अंत में पूर्णविराम लगाया जाता है । इसके प्रयोग से वाक्य के समाप्ति की सूचना मिलती है । यथा-

राम घर चला गया।

तुम्हें मन लगा कर पढ़ना चाहिए ।

सरिता और रमेश विद्‍यालय गए ।

4. प्रश्नवाचक (?)  : जिन वाक्यों के द्‍वारा प्रश्‍न पूछा जाता है , उनके अंत में प्रश्नवाचक चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है । यथा -

क्या तुम कल दिल्ली जाओगे ?

तुम कब वापस आओगे?

कौन हो तुम ?

5.आश्चर्य या विस्मय सूचक (!) : जिन वाक्यों से मन के भाव प्रकट होते है , उनकेअंत में आश्चर्य सूचक चिह्न लगाए जाते हैं । कभी-कभी विसमय सूचक शब्द के बाद भी इसका प्रयोग किया जाता है , तब अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है । यथा -

अरे! तुम कब आए ?

अहा!कितना सुंदर दृश्य है ।

ईश्वर आपकी यात्रा सफ़ल करे !

6.निर्देशक चिन्ह / योजक चिन्ह /सामासिक चिन्ह(-) : निदेशक चिह्‍न का प्रयोग किसी कथन से पूर्व होता है यथा -

गीता ने कहा - आज मैं बहुत खुश हूँ ।

सोहन - जाओ, अपने पिता की सेवा करो!

कभी -कभी जब कोई शब्द दोहराया जाता है अथवा शब्द युग्म हो ,तो भी योजक या सामासिक चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है ।

माता- पिता , दिन -रात , सुबह-शाम

बार-बार , जल्दी-जल्दी , धीरे-धीरे

7.कोष्ठक चिह्न: कोष्ठक तब होता है जब किसी वाक्य में अतिरिक्त जानकारी जोड़ी जाती है जिसे आमतौर पर स्पष्टीकरण के रूप में या मुख्य खंड से संबंधित गैर-आवश्यक जानकारी के रूप में जोड़ा जाता है।

कोष्ठक का उपयोग विषय-विशिष्ट या जटिल शब्दावली को समझाने, अतिरिक्त जानकारी जोड़ने या अर्थ स्पष्ट करने के लिए किया जा सकता है।

उदाहरण: 1. नीली व्हेल दुनिया के सबसे विशाल प्राणी(स्तनपायी ) है।

2. माउंट एवरेस्ट (8,8828 मी.) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है।

3. दुर्वासा ने(क्रोध में) कहा-ं"मूर्ख कन्या ! जिसकी याद में तू खोई है वह तुझे भूल जाएगा।"

कई बार प्रश्न पूछते समय भी वैकल्पिक चुनाव हेतु शब्द,वाक्यांश कोष्ठक के भीतर लिखे जाते हैं-

सही शब्द कोष्ठक से चुनिए-

रास्ते के दोनों किनारों में ............. पंक्तिबद्ध खड़े थे। (लड़के/ लड़कियाँ )

8.अवतरण/उद्धरण (” " / ’ ’) : किसी व्यक्ति के मूल कथन को उद्‍धृत करने के लिए अथवा जैसे का तैसा लिखने पर दोहरे अवतरण या उद्‍धरण चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है । जैसे -

नेता जी ने कहा- " तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दुँगा।"

महात्मा गाँधी ने कहा - "अंग्रेजो, भारत छोड़ो।" किसी के उपनाम , कविता , आलेख अथवा रचना के शीर्षक को उद्‍धृत करने के लिए इकहरे उद्‍धरण चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है । जैसे -

अयोध्या सिंह उपाध्याय ’हरिऔंध’ , सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’

सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ कृत कविता ’ आराधना’ , हरिवंश राय ’बच्चन’ कृत ’मधुशाला’

9.उप विराम (colon)[:] जब किसी शब्द या वाक्यांश को अलग कर दर्शाना होता है तो वहाँ पर उपविराम का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: दहेज प्रथा: एक सामाजिक कलंक

इंटरनेट: वरदान या अभिशाप

1942 : ए लव स्टोरी,

10.विवरण चिन्ह [:-]

विवरण चिह्न का प्रयोग वाक्यांश के संदर्भ में कुछ सूचक निर्देश आदि देने के लिए किया जाता है।

उदाहरण:

योग के लाभ:-

समास के भेद:-

संधि के भेद:-

11.पुनरुक्ति सूचक चिन्ह  (,,)जब ऊपर लिखी बात को ज्यों का त्यों नीचे लिखना हो तो उसके नीचे पुन: वही शब्द न लिखकर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

श्री अर्जुन लाल
,, रामचंद्र गुहा
,, सतीश शर्मा

12.लाघव चिन्ह  (० ) जब किसी शब्द या वाक्य का संक्षिप्त रूप लिखना हो तो लाघव चिह्न (०) का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे-

डा० सुधा मेनन

इंजी० आशुतोष नायक

कृ०प० प०

प० जवाहर लाल नेहरू

13.पलोप चिन्ह (......) जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न (…) का प्रयोग किया जाता है। जैसे किसी पद या दोहे के पूरे भाग को न लिख कर मात्र कुछ भाग लिखना हो तो लोप चिन्ह  का प्रयोग किया जाता है।

जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न (…) का प्रयोग किया जाता है।

जैसे –

कमल ने अनमोल को गाली दी ...…।

मैं तुम्हारे साथ तो चलता पर…..।

रहिमन पानी राखिए..........................................मोती, मानुष,चून॥

मधुलिका, कविता आदि नाम संज्ञा हैं।

15.दीर्घ उच्चारण चिन्ह(ડ) जब किसी वाक्य में किसी वर्ण विशेष के उच्चारण में दूसरे शब्दों की अपेक्षा अधिक समय लगता है तब वहाँ दीर्घ उच्चारण चिन्ह का प्रयोग करते हैं।

छंद में दीर्घ मात्रा (का, की, कू, के, के, को, को) एवं लघु मात्रा (क. कि. कु.) को दर्शान हेतु इनका प्रयोग किया

जाता है, जैस-

देखत भृगुपति बेषु कराला।

ડ । । । । । । ડ। ।ડ ડ

    16.पाद बिंदु (÷)

    हिंदी अरबी ,फारसी से आये शब्दों के नीचे लगने वाला चिह्न या नुक्ता | 

    उदाहरण -- फ़तवा, मज़दूर, ताज़ा,क़ाग़ज़ ,

    17.विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह / हंसपद (^)

    वाक्य लिखते समय यदि कोई पद छूट जाए तो उसे लिखने के लिए  जिस चिह्न  (^) का प्रयोग किया जाता है उसे विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह अथवा हंसपद कहते हैं। 

                                घूमने

    आज हम सब बाजार  ^‍आए | 

                                       पसंद 

    क्या आप भी आइसक्रीम ^‍ करते हो ?  

    18. टीका सूचक/तारक चिह्न (*, +, +, 2)

    तारक चिह्न /टीका सूचक चिह्न पाद टिप्पणी देने में लगाये जाते है | यदि किसी लेख या पुस्तक में किसी शब्द के विषय में कोई सूचना देनी होती है तो उस शब्द के साथ कोई एक चिह्न बना देते है और उसके सम्बंध में पृष्ठ के नीचे फुट नोट के रूप में लिखते है । इसका प्रयोग संस्कृत के जटिल पदों की टीका/ सरलीकरण अथवा व्याकरणों में ज्यादा देखने को मिलता है |

    19. तुल्यता सूचक(=)

    समानता सुचित करने के लिए तुल्यता सूचक चिह्न का प्रयोग होता है। संधि , समास या किसी शब्द का समान अर्थ प्रकट करने हेतु तुल्यता या समतामूलक शब्द का प्रयोग करते हैं, जैसे-

    ब्रह्म मुहूर्त= सूर्योदय से पहले के 48 मिनट का समय

      किंकर्तव्यविमूढ़ = क्या करूँ या न करूँ  की मानसिक स्थिति होना।

      राजमहल=राजा का महल

      दशानन= रावण

      20. समाप्ति सूचक चिन्ह (0, —X

      इसका उपयोग लेख , निबंध , कहानी, प्रश्नपत्र आदि के समापन पर किया जाता है। यह सूचित करते हैं कि लेख , निबंध , कहानी, प्रश्नपत्र आदि समाप्त हो चुका है।

      —X

      Saturday, March 30, 2024

      बड़े भाईसाहब-व्याख्या भाग 2//BADE BHAI SAHAB PART 2

      बड़े भाईसाहब-प्रेमचंद

      बड़े भाईसाहब-व्याख्या भाग 1//BADE BHAI SAHAB PART 1

      https://youtu.be/P0YdwmHZb-Q?si=w7bQi-yQdi28Sh2u

      बड़े भाईसाहब-व्याख्या भाग 2//BADE BHAI SAHAB PART 2

      Tuesday, January 16, 2024

      कविता ’इतने ऊँचे उठो'

       कविता इतने ऊँचे उठो'

      इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।
      देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
      सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
      जाति भेद की, धर्म-वेश की
      काले गोरे रंग-द्वेष की
      ज्वालाओं से जलते जग में
      इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥

      नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो
      नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो
      नये राग को नूतन स्वर दो
      भाषा को नूतन अक्षर दो
      युग की नयी मूर्ति-रचना में
      इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥

      लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है
      जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है
      तोड़ो बन्धन, रुके न चिंतन
      गति, जीवन का सत्य चिरन्तन
      धारा के शाश्वत प्रवाह में
      इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।

      चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना
      अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना
      सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे
      सब हैं प्रतिपल साथ हमारे
      दो कुरूप को रूप सलोना
      इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है॥

      कविता इतने ऊँचे उठोका सप्रसंग भावार्थ

      पद 1: इतने ऊँचे उठो ……………………………………….. मलय पवन है॥

      प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै।प्रस्तुत पंक्तियों में, सभी भेदभावों से ऊपर उठकर समाज में समानता का भाव जगाने की बात कही गई है।

      अर्थ: प्रस्तुत पद्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें नए समाज निर्माण में अपनी नई सोच को जाति, धर्म, रंग-द्वेष  आदि जैसे भेदभावों से ऊपर उठकर सभी को समानता की दृष्टि से देखना चाहिये। जिस प्रकार वर्षा सभी के ऊपर समान रूप से होती है उसी प्रकार हमें भी सभी के साथ समान रूप से पेश आना चाहिए। हमें नफरत की आग को समाप्त कर समाज में शीतल हवा की तरह सुख- शांति लाने का प्रयत्न करना चाहिए।  

       

      पद 2 :नये हाथ से, ……………………………………. जितना स्वयं सृजन है॥

      प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै।प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समाज में मौलिक कार्य करने और नव निर्माण करने का संदेश दिया है ।

      अर्थ: इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि नए समाज के निर्माण में हमें आगे बढ़कर अपनी कल्पनाओं को आकार देकर उन्हे वास्तविक जीवन में लाने का प्रयत्न करना चाहिए। जिस प्रकार कोई कलाकार अपनी कूँची से अपने चित्रों में रंग भरता है, और जिस प्रकार संगीतकार अपने नए राग में स्वरों को पिरोता है, उसी प्रकार हमें भी अपने समाज को नया रूप देने के लिए सृजनात्मक बनना होगा और सृजन को हमें अपने अंदर मौलिक रूप से ग्रहण करना होगा।

       

      पद3: लो अतीत से उतना ही ………………………… जितना परिवर्तन है।

      प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै। प्रस्तुत पंक्तियों में भूतकाल की कुप्रथाओं को त्यागने और अच्छी बातों को ग्रहण करने का संदेश दे कर विकास करने को कहा है।

      अर्थ: कवि कहते हैं कि हमे अतीत की कुप्रथाओं को छोड़कर केवल अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि ये अच्छी घटनाएँ ही हमारे भविष्य निर्माण में हमारे काम आएँगी जबकि पुरानी परंपराएँ हमें सदैव पीछे की ओर ही खींचेंगी, इनसे हमारा विकास अवरुद्ध होगा। कवि कहते हैं कि जिस तरह परिवर्तन सदैव होता रहता है उसी प्रकार हमें भी सभी पुरानी परंपराओं के बंधनों को तोड़कर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए,क्योंकि आगे बढ़ना ही जीवन है।

       

      पद4: चाह रहे हम इस धरती………………………… जितना आकर्षण है॥

      प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै। प्रस्तुत पंक्तियों में, सभी भेदभावों से ऊपर उठकर समाज में समानता का भाव जगाने की बात कही गई है।

      अर्थ: कवि कहते हैं कि हम धरती को स्वर्ग की तरह सुंदर बनाना चाहते हैं और और यदि कहीं स्वर्ग है तो उसे धरती पर लाना चाह्ते हैं ।सूरज , चन्द्र , चाँदनी और तारे हर क्षण हमारे साथ हैं ।कवि कहते हैं कि रूढ़िवादी परंपराओं की जकड़न से हट कर युवाओं को नई सोच को बढ़ावा देना चाहिए । जिससे परिवर्तन की ऐसी धारा बहेगी कि धरती स्वर्ग समान हो जाएगी ।

       


      Saturday, January 6, 2024

      चित्र वर्णन 1

       चित्र वर्णन 1

      सीबीएसई में छोटी कक्षाओं से लेकर कक्षा 9वीं तक चित्र वर्णन एक मुख्य रचनात्मक प्रश्न है। इसमें छात्र को कोई साधारण सा चित्र देकर उसका वर्णन करने को कहा जाता है। यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे पाँच अंक का प्रश्न है। चित्र वर्णन की सीमा 50 से 60 शब्दों तक है। इसीलिए कम शब्दों में अधिक भाव डल कर चित्र वर्णन किया जाना चाहिए।

      चित्र वर्णन  का उद्देश्य छात्र की लेखन क्षमता का विकास है। छात्रों की लेखन क्षमता बढ़ाने के लिए उनकी आयु के अनूकूल भिन्न -भिन्न चित्र रखे जाने चाहिए और उसी अनुसार एक बच्चे से उस चित्र के वर्णन की अपेक्षा रखी जानी चाहिए। एक छोटी कक्षा के बच्चे से आशा की जाती है कि  बच्चा चित्र में दिखाई देने वाली मुख्य वस्तुओं को पहचानते हुए उन पर वाक्य बना सकने की क्षमता रखे। वहीं कक्षा आठवीं और नौवीं के बच्चों से अपेक्षा की जाती है कि वे चित्र के पीछॆ छिपे भाव और उस चित्र को देखकर उस विषय पर मन में आने वाले  भावों को कलमबद्ध कर सके। 

      नीचे इसे उदाहरण द्वारा समझाया गया है- 

       चित्र वर्णन : कक्षा 4,5 और 6 के छात्रों द्वारा-


      यह बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। इसमें पाँच बच्चे हैं। एक लड़के ने बैट पकड़ा है। बैट उपर उठा रखा है।  दूसरे बच्चे फील्डिंग कर रहे हैं। वह रोड पर खेल रहे हैं हैं। तीन लकड़ियाँ  स्टंप की तरह लगाई हैं।   पेड़ दिख रहे हैं । नीचे एक टोपी गिरी हुई है। पत्थर भी गिरे हुए हैं। 

      चित्र वर्णन : कक्षा 7, 8 और 9वीं के छात्रों द्वारा

      यह एक गाँव का दृश्य दिख रहा है जिसमें कुछ बच्चे  समुद्र किनारे क्रिकेट खेल रहे हैं। क्रिकेट एक मज़ेदार खेल है। इसकी एक खूबी यह है कि इसे दो बच्चे भी खेल सकते है और पूरी टीम के साथ भी। दूसरी बात यह कि इसे कहीं भी कभी भी खेला जा सकता है,इसीलिए क्रिकेट इतना अधिक प्रचलित हो गया।  गाँव के बच्चे कम सुविधा में लकड़ी के स्टंप लगाकर ही खेल रहे हैं। इनके पास खेलने के लिए उचित सामान भी नहीं है।  इन्हें इस प्रकार खेलने से चोट भी लग सकती है। मैं चाहता हूँ कि हर बच्चे के पास खेलने के लिए अच्छा मैदान और अच्छॆ उपकरण हों। 

      आशा है कि एक ही चित्र पर दो अलग वर्गों के लिखने का स्तर  किस तरह होना चाहिए , यह अंतर समझ आ गया होगा।  7वीं , 8वीं और नौंवीं के बच्चों चित्र को अलग दृष्टिकोण से देखकर अपने लेखन-कला को उभारना चाहिए और मौलिक विचारों को प्रकट करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। 



      Saturday, December 16, 2023

      अनुच्छेद :जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान

       जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान

      संकेत बिंदु :

      *अभिप्राय

      *सुख-शांति का मूलमंत्र 

      *असंतोष से हानियाँ ।

      अनुच्छेद 1

      (100 से 150 शब्दों तक )

      मानव एक संवेदनशील प्राणी है। वह सदैव अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने में लगा रहता है, लेकिन इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं। इच्छाओं का क्रम निरंतर चलता ही रहता है। संतोष मनुष्य की वह दशा है, जिसमें वह अपनी वर्तमान स्थिति में प्रसन्न है, तृप्त है। अधिक की कामना उसे नहीं है। संतोष जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। इससे मन में ईर्ष्या, कुंठा, द्वेष, घृणा जैसे विकार नहीं उत्पन्न होते। इसके विपरीत असंतोष दुख, वैमनस्य, द्वेष आदि का जनक बनता है। वह इंसान की भावनाओं को संतुष्ट नहीं होने देता। जो कुछ मिल जाता है, उससे खुश न रहकर वह व्यक्ति को और अधिक पाने के लिए बेचैन करता है। इसीलिए हमारे धर्म और दर्शन में संतोष को सबसे बहुमूल्य धन माना गया है, जिसे पाकर व्यक्ति को और कोई कामना नहीं रहती।

      अनुच्छेद 2

      (200 से 250 शब्दों तक )

      इच्छा का मतलब किसी भी वस्तु, व्यक्ति या परिणाम की चाहत। कामना,लालसा, चाहत , मनोकामना, अभिलाषा आदि इसके पर्यायवाची हैं। इच्छाएँ अनंत होती हैं। ये एक बढ़ती हुई नदी की भाँति निरंतर बहती चली आती हैं। इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं। इच्छाओं का क्रम निरंतर चलता ही रहता है।मनुष्य इन इच्छाओं को पूरा करने में ही जुटा रहे तो वह कभी भी संतुष्ट और सुखी नहीं रह सकेगा।  यदि सच में सुखी रहना है तो इन अनंत इच्छाओं , वासनाओं पर नियंत्रण कर संतोषी बनना आवश्यक है। संतोषी व्यक्ति न तो बहुत अधिक की इच्छा रखता है और न किसी से मान-सम्मान -आदर की अपेक्षा। वह जैसी भी परिस्थितियाँ हों अपने आप में ही संतुष्ट रहता है। संतोषी व्यक्ति कम में ही सुखी रहता है। अपने संतोष के कारण वह राजाओं से भी अधिक सुखी जीवन जीता है। भले ही उसके पास खाने को सूखी रोटी ही क्यों न हो, किंतु जीवन में शांति और आनंद होता है।जबकि असंतोषी व्यक्ति वासनाओं के वशीभूत हमेशा दुखी और असंतुष्ट रहता है। कई बार तो वह असंतोष के चलते वह मानसिक तनाव , भ्रष्टाचार, लड़ाई-झगड़े और गलत राह में भी पड़ जाता है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया –

      गोधन, गजधन, बाजिधन, सब सुख धूरि समान ।

      जब आए संतोष धन सब धन धूरि समान।।

      Tuesday, September 19, 2023

      हिंदी अपठित गद्यांश

       हिंदी अपठित गद्यांश

        1.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए- 

      शहरी जीवन में समस्याएं आए दिन पैदा होती रहती है, जिनका शीघ्र समाधान न ढूंढा जाए, तो समाज में असुरक्षा तथा अन्याय-अनाचार की भावना प्रबल होती जाती है। अतः पारिवारिक अदालतों की स्थापना का निर्णय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इन अदालतों के सूझ-बूझ भरे फैसले किसी भी टूटते हुए परिवार की शांति को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। यदि इन अदालतों में मामले मुकदमे तूल पकड़ने के पहले ही सुलझा दिए जाएँ तो आपसी विचार-विमर्श और समझौते का भाव प्रबल हो सकेगा तथा कानूनी दाँव-पेचों की दुर्दशा से परिवारों की रक्षा हो सकेगी। न्यायालय के बढ़ते हुए खर्च से भी लोग राहत पा सकेंगे, साथ ही सरकारी न्यायालयों पर से काम का बोझ भी कम हो सकेगा और आम जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा। भारत में पारिवारिक अदालतों की नितांत आवश्यकता है क्योंकि इस देश की बहुसंख्यक जनता अशिक्षित, निर्धन तथा समस्याओं से ग्रस्त है। पारिवारिक अदालतों का यह सकारात्मक प्रयास आम लोगों के जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। यह निम्न वर्ग के लिए लाभदायक होगा। यह न केवल परिवारों के बिखराव को बचाने का प्रयास होगा, अपितु इसके माध्यम से, विशेषकर निम्न वर्ग को अत्यधिक लाभ होगा, जिससे वह एक उचित दिशा प्राप्त कर सकेंगे।

      (क) गद्यांश के अनुसार समाज में असुरक्षा, अन्याय, अनाचार के बढ़ने का क्या कारण है?

      (i) अशिक्षा और निर्धनता                             

      (ii) ऊँच-नीच का भेदभाव

      (iii) समस्याओं का शीघ्र समाधान न होना।

      (iv) धनी और ताकतवर लोगों का प्रभाव

      (ख) पारिवारिक अदालतों के विषय में कौन सा कथन सत्य नहीं है?

      (i) इनके फ़ैसलों में अधिक समय नहीं लगता।

      (ii) इनके मामले परिवार में ही सुलझा दिए जाते हैं।

      (iii) इनके धन का व्यय कम होता है।

      (iv) इनके फ़ैसले टूटते परिवारों को जोड़ सकते हैं।

      (ग) पारिवारिक अदालतों से क्या संभव हो पाएगा?

      (i)अशिक्षा और निर्धनता से मुक्ति 

      (ii) सामाजिक समस्याओं का निदान 

      (iii) सरकारी न्यायालयों पर काम का कम दबाव  

      (iv) अन्याय व अनाचार की प्रबल भावना

       (घ) भारत में पारिवारिक अदालतों की स्थापना अत्यंत महत्त्वपूर्ण  क्यों है?

      (i) समाज में व्याप्त अनेक समस्याओं के कारण  

      (ii) न्यायालयों में कानूनी दाँव -पेंच अधिक होने के कारण

      (iii) जनता के अशिक्षित, निर्धन और समस्याग्रस्त होने के कारण

      (iv) इन अदालतों के फैसले टूटते हुए परिवार को बिखराव से बचा सकते हैं

      (ङ) प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार पारिवारिक अदालतों का अत्यधिक लाभ किस वर्ग को होगा?

      (i) धनी वर्ग को                       (ii) मध्यम वर्ग को

      (iii) निम्‍न वर्ग को                     (iv)  किसी को नहीं

       2.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए- 

      साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता कैसी है आप अपनी बात स्पष्ट रूप से प्रभावशाली तरीके से रख पा रहे हैं, तो निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए विद्यार्थियों को प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी बोलने की शक्ति को बढ़ाएँ। अच्छे शब्दों का चुनाव करें। घटिया एवं द्विअर्थी शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। इसी प्रकार आपके वाक्य जटिल न होकर सरल और  सुबोध हों। कठिन शब्दों एवं जटिल वाक्यों का प्रयोग आपकी भाषा को कृत्रिम बना देता है।

      इसके अतिरिक्त बोर्ड के समक्ष आपका व्यवहार अत्यंत संतुलित और सौम्य होना चाहिए अर्थात् आपको बोलचाल के लहजे में सौम्यता होनी चाहिए। यदि आप सदस्य की किसी बात से सहमत नहीं है, तो पूरी विनम्रता के साथ उसका खंडन करें। यदि आप ऐसे अवसरों पर उग्रता अपनाते है, तो वह आपके असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक होगा। यदि आप किसी प्रश्न का उत्तर दे पाने की स्थिति में नहीं हैं, तो उसके लिए अफसोस व्यक्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए। सदस्य इस बात को समझते हैं कि जरूरी नहीं कि आप सभी प्रश्नों के उत्तर दे सके। गलत उत्तर देकर सदस्यों को मूर्ख बनाने का प्रयत्न कदापि न करें। इसी तरह साफ एवं स्पष्ट उत्तर न देने पर आप स्वयं फँस सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में सदस्य आपसे उस उत्तर का स्पष्टीकरण मांगेगे और आप अनावश्यक उलझते चले जाएंगे। इसलिए बोलना साक्षात्कार की एक आदर्श नीति मानी जाती है, जो जितना अधिक बोलेगा, उसके पकड़ में आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।

       

      (क) साक्षात्कार की सफलता के लिए किस प्रकार की भाषा का अभ्यास आवश्यक माना गया है?

      (i) प्रभावशाली वक्तव्य की भाषा       (ii) क्लिष्ट एवं साहित्यिक भाषा

      (iii) स्पष्ट एवं सरल सुबोध भाषा      (iv) कृत्रिम भावाभिव्यक्ति की भाषा

      (ख) बोर्ड की बात से सहमत न होने की स्थिति में परीक्षार्थी के लिए क्या आवश्यक है?

      (i) तथ्यों को चुपचाप स्वीकार करना।     

      (ii) बात को तुरंत नकार देना ।

      (iii) बात का विनम्रतापूर्वक खंडन करना।

      (iv) किसी बात पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त न करना।

      (ग) बोर्ड की बात पर असहमत होकर उग्रता अपनाना किस बात का परिचायक है?

      (i) असंतुलित व्यक्तित्व का               (ii) असंतुलित व्यवहार का

      (iii)परिवार द्वारा दिए गए आदर्श का   (iv) समाज द्वारा सीखे गए आचरण का

      (घ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि साक्षात्कार की आदर्श नीति क्या है?

      (i) सरल सुबोध भाषा का प्रयोग                (ii) कथन का स्पष्टीकरण करना

      (iii) प्रश्न के उत्तर की जानकारी होना      (iv) ज्यादा न बोलना

      (ङ)अपनी बात को स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीके से रखने के लिए क्या करना चाहिए?

      (i) अपनी बोलने की शक्ति बढ़ानी चाहिए

      (ii) अच्छे शब्दों का चुनाव करना चाहिए

      (iii)घटिया या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

      (iv) ये सभी ।

      3..निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-                                                  5

      मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में उसके मित्र भी होते हैं, शत्रु भी परिचित भी, अपरिचित भी। जहाँ तक शत्रुओं, परिचितों और अपरिचितों का प्रश्न है, उन्हें पहचानना बहुत कठिन नहीं होता, किंतु मित्रों को पहचानना कठिन होता है। मुख्यतः सच्चे मित्रों को पहचानना बहुत कठिन होता है यह प्रायः देखा गया है कि एक ओर तो बहुत से लोग अपने-अपने स्वार्थवश सम्पन्न, सुखी और बड़े आदमियों के मित्र बन जाते हैं या ज्यादा सही यह होगा कि यह दिखाना चाहते हैं कि वे मित्र हैं। इसके विपरीत जहाँ तक गरीब, निर्धन और दुःखी लोगों का प्रश्न है मित्र बनाना तो दूर रहा, लोग उनकी छाया से भी दूर भागते हैं। इसीलिए कोई व्यक्ति हमारा वास्तविक मित्र है या नहीं, इस बात का पता हमें तब तक नहीं लग सकता, जब तक हम कोई विपत्ति में न हों। विपत्ति में नकली मित्र तो साथ छोड़ देते हैं और जो मित्र साथ नहीं छोड़ते, वास्तविक मित्र वे ही होते हैं। इसीलिए यह ठीक ही कहा जाता है कि विपत्ति मित्रों की कसौटी है।

      1- समाज में किसको पहचानना कठिन है।

      (क) सच्चे मित्र को               (ख) शत्रु को

      (ग) सदाशय व्यक्ति को           (घ) चालाक व्यक्ति को

      2- संपन्न लोगों से लोग कैसा व्यवहार करते हैं?

      (क) उनसे लोग ईर्ष्या करते हैं ।     (ख) लोग उनके मित्र बन जाते हैं।

      (ग) लोग उनसे उदासीन रहते हैं।  (घ) उनकी छाया भी नहीं छूते।

      3. सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?

      (क) विपत्ति की घड़ी में            (ख) सुख की घड़ी में

      (ग) मिलने जुलने  पर            (घ) मेले - उत्सव में

      4- वास्तविक शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है।

      (क) वास्तव + ईक         (ख) वास्तव + इक

      (ग) वास्तव + विक        (घ) वास्त + विक

      5. विपत्ति के समय कौन साथ छोड़ देता है?

      (क)वास्तविक मित्र         (ख) नकली मित्र

      (ग) सच्चा मित्र           (घ) निर्धन मित्र

      4.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-                                            5

      जिस विद्यार्थी ने समय की कीमत जान ली, वह सफलता को अवश्य प्राप्त करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दिनचर्या की समय-सारणी अथवा तालिका बनाकर उसका पूरी दृढ़ता से पालन करना चाहिए। जिस विद्यार्थी ने समय का सही उपयोग करना सीख लिया उसके लिए कोई भी काम करना असंभव नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी है जो कोई काम पूरा न होने पर समय की दुहाई देते हैं। वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत होती है। अपनी अकर्मण्यता और आलस को वे समय की कमी के बहाने छिपाते है। कुछ लोगों को अकर्मण्य रह कर निठल्ले समय बिताना अच्छा लगता है। ऐसे लोग केवल बातूनी होते हैं दुनिया के सफलतम व्यक्तियों ने सदैव कार्य व्यस्तता में जीवन बिताया है। उनकी सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग रहा है। दुनिया में अथवा प्रकृति में हर वस्तु का समय निश्चित है। समय बीत जाने के बाद कार्य फलप्रद नहीं होता।

      1. विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है-

      (क) समय की दुहाई देना          (ख) समय की कीमत समझना

      (ग) समय पर काम करना         (घ) दृढ़ विश्वास बनाए रखना

      2. विद्यार्थी को समय का सही उपयोग करने के लिए निम्न में से क्या करना चाहिए?

      (क) समय-तालिका बनाकर उसका पालन करना चाहिए।  

      (ख) समय की कमी के बहाने बनाने चाहिए।

      (ग)अकर्मण्य और निठल्ले रह कर जीवन बिताना चाहिए।       

      (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।

      3- कुछ लोग समय की कमी के बहाने क्या छुपाते हैं

      (क) अपनी अकर्मण्यता और आलस्य      (ख) अपना निठल्लापन

      (ग) अपनी विभिन्न कमियां              (घ) अपना बातूनीपन

      4- दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य क्या है?

      (क) समय की बर्बादी       (ख) समय का प्रयोग

      (ग) समय की कीमत       (घ) समय का सदुपयोग

      5- कार्य किस स्थिति में फलप्रद नहीं होता-

      (क) समय न आने पर        (ख) समय कम होने पर

      (ग) समय बीत जाने पर      (घ) समय अधिक होने पर

      5.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-                                            5

      लगभग दो सौ वर्ष की गुलामी ने भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान को पैरों से रौंद डाला, हमारी संस्कृति को समाप्त कर दिया, हमारे विश्वासों को हिला दिया और हमारे आत्मविश्वास से चकनाचूर कर दिया। किंतु अपने इस बूढे देश से प्यार करने वाले, इसके एक सामान्य संकेत पर प्राण न्योछावर करने वाले दीवानों का अभाव न था। एक आवाज उठी और देखते ही देखते राष्ट्र का दबा हुआ आत्मविश्वास उन्मत्त हो उठा। इतिहास साथी है- जाने और अनजाने सहस्रों देशभक्त स्वतंत्रता की अनमोल निधि को पाने के लिए शहीद हो गए। आज स्वतंत्रता की अनमोल निधि को सुरक्षित रखने का दायित्व नवयुवकों पर है। हमारे नवयुवकों ने अभी तक अपने दायित्व को सफलतापूर्वक निभाया है और पूर्ण विश्वास है आगे भी हम अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखेंगे।

      (1) गुलामी के दो सौ वर्षों ने भारत को कैसे क्षतिग्रस्त किया?

      (i) स्वाभिमान को पैरों से रौद डाला    (ii) हमारे विश्वासों को हिला दिया

      (iii) हमारी संस्कृति को समाप्त किया    (iv)उपर्युक्त सभी

      (2)भारत को बूढ़ा देश क्यों कहा गया है?

      (i) क्योंकि हमारी संस्कृति अति प्राचीन है  (ii) क्योंकि यहाँ बूढे अधिक रहते हैं

      (iii) क्योकि हमे अन्य देश शिथिल मानते है (iv) क्योंकि यहाँ युवा कम है

      (3) 'एक आवाज़ उठी' लेखक किस आवाज की बात कर रहा है?

      (i) विदेशियों की आवाज़         (ii) दुश्मनों की आवाज़

      (iii) भारत माता की आवाज़      (iv) गुलामों की आवाज़

      (4) इतिहास साक्षी है:

      (i) स्वाभिमान का   (ii) देशभक्ति  (iii) शहीदों का   (iv) उपर्युक्त सभी

      (5) उपरोक्त अनुच्छेद के अनुसार स्वतंत्रता का दायित्व किस पर है?

      (i) नवयुवकों पर   (ii) देशभक्तों   (iii) शहीदोंपर   (iv) आनेवाली पीढ़ी पर  

      6.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-   

      दुनिया के विभिन्न देशों के विकास पर विहंगम दृष्टि डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि आज जिस देश ने वैज्ञानिक उपलब्धियों के सहारे अपना औद्योगिककरण  कर लिया, उसी को उन्नत देश कहा जाता है। जिस देश में औद्योगिककरण  का स्तर नीचा है, वह पिछड़ा हुआ देश कहा जाता है इसीलिए अनेक देश जिनके पास अच्छे प्राकृतिक संसाधन हैं, फ़िर भी वे पिछड़े  माने जाते हैं। आज वैज्ञानिक आविष्कारों और औद्योगिककरण  के आधार पर ही किसी देश की प्रगति को आँका जाता रहा है। विज्ञान ने मानव को पूरी तरह बदल दिया है। मानव की प्रत्येक गतिविधियों में विज्ञान का हस्तक्षेप है। खाना, चलना, खुशी, गम सभी कार्य विज्ञान आधारित हो गए हैं। खाने के लिए विभिन्न पैक्ड फूड आज बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं चलने के लिए अत्याधुनिक परिवहन साधनों की भरमार है।

      (1) आज उन्नत देश किसे कहा जाता है?

      (i)औद्योगिक रूप से समृद्ध देश     (ii) सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश को

      (iii) ताकतवर देश को                        (iv)प्राकृतिक संसाधन वाले देश को

      (2) किसी देश की प्रगति मापने का आधार क्या है?

      (i)औद्योगिककरण                 (ii) वैज्ञानिक आविष्कार

      (iii)व्यवसायीकरण                 (iv) (i) और  (ii) दोनों

      (3)विज्ञान ने मानव को कैसे बदल दिया?

      (i) विज्ञान अधिक धनोपार्जन करता है (ii) विज्ञान ने संस्कृति को सुधारा है।

      (iii)आविष्कारों द्वारा                             (iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं

      (4) आज किन देशों को पिछड़ा कहा जाता है?

      (i) औद्योगिक रूप से समृद्ध (ii) निम्न औद्योगिक स्तर वाले

      (iii) अच्छे प्राकृतिक संसाधन वाले  (iv) कम प्राकृतिक संसाधन वाले

      (5 निम्नलिखित कथन (A)तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढिए और उसके बाद दिये गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए।

      कथन(A) : मानव की प्रत्येक गतिविधियों में विज्ञान का हस्तक्षेप है।

      कारण (R): खाना, चलना, खुशी, गम सभी कार्य विज्ञान आधारित हो गए हैं। खाने के लिए विभिन्न पैक्ड फूड आज बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं चलने के लिए अत्याधुनिक परिवहन साधनों की भरमार है।

      (i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत है।

      (ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।

      (iii) कथन (A) सही हैं लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

      (iv) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। 

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