सरस्वती देवी के 108 प्रसिद्ध नाम
हम सब जानते हैं कि विद्या और ज्ञान का हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्व है। इसीलिए जब भी हम कोई वेद , वेदांग पुराण आदि पढ़ते हैं तो गणेश वंदना के साथ ही सरस्वती और वेदव्यास जी का पूजन अवश्य ही करते हैं ।
नारायणं नमस्तुभ्यं नरं चैव नरोत्तमं, देवी सरस्वती व्यासं , ततो जयं उदीरयत।
कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने समस्त सृष्टी का निर्माण कर लिया किंतु स्वर के अभाव में उन्हें सब बेकार और सूना ही लग रहा था। तब भगवान नारायण की प्रेरणा से उन्होंने एक अत्यंत सुंदर श्वेत वर्ण वाली देवी का सृजन किया। जिनके सुमधुर वाणी से प्रसन्न होकर उसका नाम स रस वती कहा गया।
प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी यानी बसंत पंचमी के दिन वाणी और विद्या की देवी सरस्वती की पूजा होती है। क्योंकि वेद और पुराणों में बताया गया है कि ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती इसी दिन प्रकट हुई थी। भगवती सरस्वती ज्ञान और कला की देवी है। ज्ञान के उपासक तो देवी की वंदना करते ही हैं किंतु संगीत, साहित्य और चित्र कला के क्षेत्र में भी जो विशिष्ट प्रगति चाहते हैं । उन्हें प्रतिदिन देवी के विभिन्न नामों का जाप कर उन्हें प्रसन्न करने हेतु प्रयत्न शील रहना चाहिए। सभी को मालूम है कि शहनाई वादक उस्ताद विस्मिल्लाह खान रोज प्रात: सरस्वती वंदना करते थे। इसी प्रकार स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने भी सरस्वती वंदना कर अपना विशिष्ट स्थान बनाया था।
यहाँ पर सरस्वती देवी के 108 नाम दिए जा रहे हैं और साथ ही उनके अर्थ भी बताए गए हैं । प्रतिदिन इन नामों को स्मरण और जाप करने से निश्चित ही माता सरस्वती आपको आर्शिवाद प्रदान करेंगी। देवी के नामों का जप कोई भी व्यक्ति कर सकता है। शिखा सूत्र युक्त लोगों को देवी के नाम के आगे ओम लगा कर मंत्र जप करना चाहिए। शेष लोगों के लिए सिर्फ़ नामोच्चारण ही पर्याप्त है।
1- सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः।
मधुर रस युक्त वाणी के कारण
2- महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।
भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है। देवी सरस्वती सभी के लिए महान कल्याण कारिणी होने से उनका नाम महाभद्रा है ।
3- महामाया ॐ महामायायै नमः।
अपनी माया से रावण , कुंभकरण जैसे प्रतापी लोगों की बुद्धि भी आवरण से ढक लेती हैं अंत: देवी सरस्वती का एक नाम महामाया भी है।
4- वरप्रदा ॐ वरप्रदायै नमः।
प्रसन्न होने पर मन चाहे वरदान देती हैं इस्लिए उनका नाम वर प्रदा है।
5- श्रीप्रदा ॐ श्रीप्रदायै नमः।
विद्या और बुद्धि के बल पर मनुष्य धन भी प्राप्त करता है अतः देवी श्री अर्थात धन संपन्नता देने वाली भी हैं ।
6- पद्मनिलया ॐ पद्मनिलयायै नमः।
श्वेत पद्म अर्थात सफ़ेद कमल ही इनका घर है अंत: देवी सरस्वती का नाम पद्मनिलया भी है।
7- पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।
कमल पत्र के समान नेत्र होने से देवी सरस्वती पद्माक्षी भी कहलाती हैं ।
8- पद्मवक्त्रगा ॐ पद्मवक्त्रायै नमः।
वक्त्र का अर्थ है मुख । देवी सरस्वती का मुख भी कमल के समान सुंदर होने से पद्मवक्त्रगा कहलाती हैं।
9- शिवानुजा ॐ शिवानुजायै नमः।
देवी भागवतम पुराण के अनुसार भगवती देवी ने संसार के कल्याण हेतु तीन युगलों को प्रकट किया था जिसमें विष्णु के साथ काली, ब्रह्मा के साथ लक्ष्मी और शिव के साथ देवी सरस्वती ने जन्म लिया था। शिव के साथ जन्म लेने के कारण देवी सरस्वती शिवानुजा भी कहलाती हैं।
10- पुस्तकधृत ॐ पुस्तकध्रते नमः।
हाथ में पुस्तक धारण करने के कारण देवी पुस्तक धृता: भी कहलाती हैं।
11- ज्ञानमुद्रा ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः।
देवी सरस्वती सदैव ज्ञानमुद्रा धारण करती हैं
12- रमा ॐ रमायै नमः।
सामान्य रूप से रमा का अर्थ विष्णु पत्नी लक्ष्मी माना जाता है। लेकिन रमा का अर्थ सौभाग्य प्रदायिनी है। देवी सरस्वती भी भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती हैं अंत: उनका एक नाम रमा भी है।
13- परा ॐ परायै नमः।
परा विद्या की अधिष्ठात्री देवी होने से देवी का ?क नाम परा है।
14- कामरूपा ॐ कामरूपायै नमः।
देवी काम रूपा हैं। मन के भीतर उत्पन्न सभी इच्छाएं देवी की प्रेरणा से ही उत्पन्न होने से वे कामरूपा कहलाती हैं।
15- महाविद्या ॐ महाविद्यायै नमः।
विद्या की अधिष्ठात्री देवी को महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है।
16- महापातक नाशिनी ॐ महापातक नाशिन्यै नमः।
देवी सस्वती प्रसन्न होने पर बड़े से बड़े पातकों का भी क्षण भर में नाश कर देती हैं अंत: वे महापातक नाशिनी भी कही जाती हैं।
17- महाश्रया ॐ महाश्रयायै नमः।
समस्त विश्व को आश्रय देने वाली देवी होने से महाश्रया कहलाती हैं।
18- मालिनी ॐ मालिन्यै नमः।
श्वेत मल्ली पुष्प की माला धारण करने से मालिनी नाम से भी सरस्वती देवी को जाना जाता है।
19- महाभोगा ॐ महाभोगायै नमः।
समस्त भोगों की अधिकारिणी होने से महाभोगा कहलाती हैं।
20- महाभुजा ॐ महाभुजायै नमः।
विशाल भुजाओं के कारण देवी सरस्वती का एक नाम महाभुजा है।
21- महाभागा ॐ महाभागायै नमः।
अत्यंत पुण्ययुक्त /भाग्य युक्त होने के कारण महाभागा नाम है।
22- महोत्साहा ॐ महोत्साहायै नमः।
देवी भगवती सरस्वती भक्तों के हृदय में उत्साह स्फुरण करती हैं अंत: महोत्साहा नाम से जानी जाती हैं ।
23- दिव्याङ्गा ॐ दिव्याङ्गायै नमः।
देवी के अंग प्रत्यंग दिव्य हैं अंत: वे दिव्याङ्गा हैं। यहाँ पर एक प्रार्थना है कि कृपया आधुनिक भाषाशास्त्रियों की भाँति दिव्याङ्ग का अर्थ विकृत अंग न समझें। दिव्याङ्गा का अर्थ अलौकिक हैं।
24- सुरवन्दिता ॐ सुरवन्दितायै नमः।
देवी सरस्वती देवताओं द्वारा पूजित होने से सुरवन्दिता कहलाती हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी जिनकी कृपा कटाक्ष के लिए प्रतीक्षारत हों , वे देवी निश्चित रूप से सुरवन्दिता हैं।
25- महाकाली ॐ महाकाल्यै नमः।
देवी एक स्वरूप में महाकाली या नील सरस्वती भी कहलाती हैं। ये तंत्र शास्त्र की देवी हैं। तांत्रिक सिद्धि महाकाली रूप की आराधना के बिना असंभव है।
26- महापाशा ॐ महापाशायै नमः।
पाश अर्थात बंधन। मूर्खों पापियों को देवी सदैव संसार के महान पाश में बाँधे रहती हैं अंत: महापाशा कहलाती हैं।
27- महाकारा ॐ महाकारायै नमः।
अपने विशाल आकार के कारण वे महाकारा: कहलाती हैं। आश्चर्य का विषय है कि देवी सूक्ष्म से सूक्ष्म में और विराट से विराट जगत में समाहित हैं।
28- महाङ्कुशा ॐ महाङ्कुशायै नमः।
अधर्मियों और पापियों में अङ्कुश लगाने के कारण वे महाङ्कुशा कहलाती हैं।
29- सीता ॐ सीतायै नमः।
सीता का एक अर्थ मुक्ति भी है। भगवती सरस्वती ज्ञान की देवी हैं । प्रसन्न होने पर भक्तों को मुक्ति प्रदायिनी ज्ञान प्रदान करने से वे सीता भी कहलाती हैं।
30- विमला ॐ विमलायै नमः।
अत्यंत पवित्र होने से देवी सरस्वती विमला कहलाती हैं
31- विश्वा ॐ विश्वायै नमः।
दक्ष की एक कन्या जो धर्म को ब्याही थी और जिससे वसु, सत्य, ऋतु आदि दस पुत्र उत्पन्न हुए थे।
सरस्वती का एक नाम विश्वा भी है ।
32- विद्युन्माला ॐ विद्युन्मालायै नमः।
विद्युत की माला के समान स्वरूप होने से विद्युन्माला है।
33- वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः।
विष्णु की आराधना का ज्ञान प्रदान कराने वाली और स्वयं विष्णु की आराधिका होन वैष्णवी हैं।
34- चन्द्रिका ॐ चन्द्रिकायै नमः।
चण्द्र के समान धवल होने से चंद्रिका कहलाती हैं।
35- चन्द्रवदना ॐ चन्द्रवदनायै नमः।
चंद्र के समान शरीर होने से चन्द्रवदना कहलाती हैं।
36- चन्द्रलेखाविभूषिता ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः।
चन्द्रलेखा का अर्थ चंद्र की किरण है। देवी सरस्वती चंद्र की सुंदर किरणों से विभूषित होने के कारण चन्द्रलेखाविभूषिता कहलाती हैं।
37 सावित्री ॐ सावित्र्यै नमः। जब सरस्वती देवी ब्रह्मा की पत्नी रूप में पूजी जाती हैं तो वे सावित्री रूप में पूजित होती हैं और वेद माता मानी जाती हैं।
38- सुरसा ॐ सुरसायै नमः।
सुरों की देवी अर्थात संगीत की देवी होने से सुरसा कहलाती हैं।
39- देवी ॐ देव्यै नमः।
समस्त जगत की दात्री अर्थात देवी हैं।
40- दिव्यालङ्कारभूषिता ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः।
वे दिव्य आभूषण धारण करती हैं अंत: दिव्यालङ्कारभूषिता कहलाती हैं।
41- वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।
वाणी की देवी होने से वाग्देवी कहलाती हैं।
42- वसुधा ॐ वसुधायै नमः।
सरस्वती को वसुधा या पृथ्वी भी कहते हैं।
43- तीव्रा ॐ तीव्रायै नमः।
तीव्र गतिमान होने से देवी का एक नाम तीव्रा है।
44- महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।
अत्यंत सौम्य स्वरूपिणी होने से वे महाभद्रा कहलाती हैं।
45- महाबला ॐ महाबलायै नमः।
अत्यंत बलशाली होने से महाबला नाम से जानी जाती हैं।
46- भोगदा ॐ भोगदायै नमः।
विभिन्न भोगों को प्रदान करने के कारण देवी को भोगदा या भोग दायिनी भी कहा जाता है।
47- भारती ॐ भारत्यै नमः।
भा का अर्थ है ज्ञान रत का अर्थ है प्रयत्न शील। ज्ञान के लिए प्रयत्नशील होने के कारण भारती भी सरस्वती देवी का एक नाम है।
48- भामा ॐ भामायै नमः।
भामा का अर्थ ज्ञान से युक्त है।
49- गोविन्दा ॐ गोविन्दायै नमः।
इंद्रियों की अधिष्ठात्री देवी होने से इनका एक नाम गोविंदा भी है।
50- गोमती ॐ गोमत्यै नमः।
गो अर्थात इंद्रियाँ। इंद्रिय युक्त होने से गोमती कहलाती हैं। अर्थात पाँचों इंद्रियों के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
51- शिवा ॐ शिवायै नमः।
शिवा अर्थात कल्याणकारिणी हैं । दूसरे शब्दों में शिव की अनुजा होने से भी शिवा कहलाती हैं।
52- जटिला ॐ जटिलायै नमः।
देवी को पूरी तरह जानना कठिन हैअत: वे जटिला कहलाती हैं।
53- विन्ध्यवासा ॐ विन्ध्यावासायै नमः।
विंध्यांचल पर्वत पर निवास करने के कारण इन्हें विन्ध्यवासा भी कहते हैं।
54- विन्ध्याचलविराजिता ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः।
विंध्यांचल पर्वत पर विराजमान होने के कारण इन्हें विन्ध्याचलविराजिता भी कहते हैं।
55- चण्डिका ॐ चण्डिकायै नमः।
क्रोधित अवस्था में देवी चण्डिका रूप में पूजित होती हैं।
56- वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः।
विष्णु की माया होने से वैष्णवी कहलाती हैं।
57- ब्राह्मी ॐ ब्राह्मयै नमः।
ब्रह्मा की आदि शक्ति होने से ब्राह्मी कहलाती हैं। ब्राह्मी एक औषधि भी है जो बुद्धि बढाने के काम आती है। अंत: ब्राह्मी औषधि भी सरस्वती का स्वरूप है।
58- ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः।
ब्रह्मज्ञान की साधना में सहायक होने से देवी सरस्वती को ब्रह्मज्ञानैकसाधना कहते हैं।
59- सौदामिनी ॐ सौदामिन्यै नमः।
सौदामिनी का अर्थ विद्युत और तड़ित है और यह भी देवी सरस्वती का एक नाम है।
60- सुधामूर्ति ॐ सुधामूर्त्यै नमः।
देवी सरस्वती अमृत की मूर्ति के समान है अंत: सुधामूर्ति भी उनका एक पवित्र नाम है।
61- सुभद्रा ॐ सुभद्रायै नमः।
भद्र शरीर धारण करने के कारण सुभद्रा भी देवी सरस्वती का एक नाम है।
62- सुरपूजिता ॐ सुरपूजितायै नमः।
देवी सरस्वती देवताओं द्वारा पूजित होने से सुरपूजिता कहलाती हैं।
63- सुवासिनी ॐ सुवासिन्यै नमः।
कमल के समान सुगंधियुक्त होने के कारण इन्हें सुवासिनी भी कहते हैं।
64- सुनासा ॐ सुनासायै नमः।
सुंदर नाक वाली होने से सुनासा
65- विनिद्रा ॐ विनिद्रायै नमः।
निद्रारहित या आलस्य रहित होने से विनिद्रा कहलाती हैं। इसमें एक संदेश यह भी छिपा है कि ज्ञान के उपासको को आलस्य और नींद पर नियंत्रण रखना चाहिए।
66- पद्मलोचना ॐ पद्मलोचनायै नमः।
कमल पत्र के समान नेत्रों वाली होने से पद्मलोचना कही जाती हैं।
67- विद्यारूपा ॐ विद्यारूपायै नमः।
68- विशालाक्षी ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
विशाल आँखों वाली हैं। अतः विशालाक्षी हैं।
69- ब्रह्मजाया ॐ ब्रह्मजायायै नमः।
ब्रह्मा के द्वारा उत्पन्न की गई हैं ब्रह्मा की मानस पुत्री होने से ब्रह्म जाया कहलाती हैं।
70- महाफला ॐ महाफलायै नमः।
देवी सरस्वती अपने भक्तों को प्रसन्न होने पर उत्तम आशीर्वाद देती हैं अंत: महाफला कहलाती हैं।
71- ब्रह्मचारिणी ॐ ब्रह्मचारिण्यैनमः।
देवी ब्रह्मचारिणी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
72- त्रिकालज्ञा ॐ त्रिकालज्ञायै नमः।
तीनों कालों की ज्ञाता होने के कारण त्रिकालज्ञा कही जाती हैं।
73- वागीश्वरी ॐ वागीश्वरयै नमः।
वाणी के देवी होने से वागीश्वरी भी कहते हैं।
74- शास्त्ररूपिणी ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः।
शास्त्रों को देवी का शरीर माना जाता है। अंत: शास्त्र रुपिणी भी देवी सरस्वती का एक नाम है।
75- शुम्भासुरप्रमथिनी ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः।
शुम्भासुर का नाश करने के कारण शुम्भासुरप्रमथिनी कही जाती हैं।
76- शुभदा ॐ शुभदायै नमः।
शुभ फल दायी होने के कारण शुभदा कही जाती हैं।
77- सर्वात्मिका ॐ स्वरात्मिकायै नमः।
सर्व भूतॊं के भीतर स्थित होने के कारण सर्वात्मिका भी देवी का एक नाम है।
78- रक्तबीजनिहन्त्री ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः। रक्त बीज का नाश करने के कारण रक्त बीज निहंत्री भी कही जाती हैं।
79- चामुण्डा ॐ चामुण्डायै नमः।
80- अम्बिका ॐ अम्बिकायै नमः।
81- मुण्डकायप्रहरणा ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः।
82- धूम्रलोचनमर्दना ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः।
धूम्रलोचन नामक असुर का मर्दन करने से देवी को यह नाम प्राप्त हुआ।
83- सर्वदेवस्तुता ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः।
सभी देवताओं द्वारा स्तुत्य
84- सौम्या ॐ सौम्यायै नमः।
सौम्य स्वरूप वाली
85- सुरासुर नमस्कृता ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः।
सुर और असुरों दोनों द्वारा जिन्हें नमस्कार किया जाए।
86- कालरात्री ॐ कालरात्र्यै नमः।
माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं।
87- कलाधरा ॐ कलाधरायै नमः।
कला को धारण करने के कारण कलाधरा इनका एक नाम हुआ।
88- रूपसौभाग्यदायिनी ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः।
89- वीणापाणि ॐ वीणापाणयै नमः।
वीणा हाथ में धारण करने के कारण वीणापाणि कहलाती हैं।
90- शारदाॐ शारदायै नमः।
कश्मीर क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी शारदा हैं इनके नाम पर ही कश्मीरी लिपि का नाम शारदा लिपि है।
91- वाराही ॐ वाराह्यै नमः।
92- वारिजासना ॐ वारिजासनायै नमः।
कमलासन में बैठने के कारण वारिजासना कहते हैं।
93- चित्राम्बरा ॐ चित्राम्बरायै नमः।
94- चित्रगन्धा ॐ चित्रगन्धायै नमः।
95- चित्रमाल्यविभूषिता ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः।
96- कान्ता ॐ कान्तायै नमः।
अत्यंत प्रिय और आनंद देने वाली
97- कामप्रदा ॐ कामप्रदायै नमः।
समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली
98- वन्द्या ॐ वन्द्यायै नमः।
वन्दना करने योग्य
99- विद्याधरसुपूजिता ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः।
पंडितों और विद्वानों द्वारा पूजित
100- श्वेतासना ॐ श्वेतासनायै नमः।
श्वेत आसन पर बैठने वाली
101- नीलभुजा ॐ नीलभुजायै नमः।
नीले भुजाओं से युक्त
102- चतुर्वर्गफलप्रदा ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः।
चतुर्वर्गों को फल प्रदान करने वाली।
103- चतुरानन साम्राज्या ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः।
चतुरानन अर्थात ब्रह्मा के साम्राज्ञी
104- रक्तमध्या ॐ रक्तमध्यायै नमः।
राक्षसों से युद्द्ध के समय जब देवी के चारों ओर रक्त ही रक्त फ़ैल गया तब वे रक्त मध्या कहलाईं।
105- निरञ्जना ॐ निरञ्जनायै नमः।
निरञ्जना का अर्थ होता है विष्णु की शक्ति।
106- हंसासना ॐ हंसासनायै नमः।
हंस आसन में बैठने के कारण हंसासना देवी का एक नाम है।
107- नीलजङ्घा ॐ नीलजङ्घायै नमः।
देवी की जङ्घाएँ नीली होने से वे नीलजङ्घा कहलाईं।
108- ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः।
जो ब्रह्मा , विष्णु और शिव की आत्मा स्वरूप हौं।
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