Sunday, April 16, 2023

NCERT Class 10th Hindi Sanchayan Chapter 1 Harihar Kaka by Mithileshvar

NCERT Class 10th Hindi Sanchayan Chapter 1 Harihar Kaka by Mithileshvar

एनसीईआरटी कक्षा 10वीं हिंदी संचयन पाठ 1 हरिहर काका ( लेखक मिथिलेश्वर )

1.हरिहर काका कहानी का सारांश

जैसा कि नाम से विदित है इस कहानी के नायक हरिहर काका हैं जो कि लेखक के पड़ोस में रहते हैं। यह कहानी बिहार के आरा शहर के पास के किसी गाँव की कहानी है  जो कि भारत  के किसी भी गाँव या शहर की कहानी हो सकती है। इस कहानी के मुख्य पात्र हरिहर काका हैं जो कि पंद्रह बीघे उपजाऊ जमीन के मालिक और एकाकी वृद्ध है। पत्नी की मृत्यु के बाद अपने भाइयों के साथ संयुक्त परिवार में रहने लगते हैं जहाँ उनके भाइयों और उनके परिवार द्वारा उनके प्रति उदासीनता के शिकार हैं । परिवार में उनकी स्थिति शून्य है और यहाँ तक की परिवार की महिलाएँ उनको उचित भोजन आदि भी नहीं देती हैं ।

इसी उपेक्षा के शिकार हरिहर काका एक अवसर पर नाराज हो कर भोजन की थाली फ़ेंक देते हैं और बहुओं को बुरा-भला कहते हुए अपने पंद्रह बीघे जमीन की याद दिलाते हैं जिससे उगाया हुआ अनाज इसी घर की आय में शामिल है। इसी अवसर पर गाँव के ठाकुरबारी का पुजारी वहाँ आया होता है वह मंदिर के महंत को  हरिकर काका के बारे में जानकारी देता है। महंत एक चतुर, व्यवहारिक और प्रभावशाली व्यक्ति है  जो तुरंत मौके की गंभीरता को समझता हुआ चतुराई से हरिहर काका को अपने साथ ले जाता है और हरिहर काका की धार्मिक आस्था का लाभ उठाकर उन्हें जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखने की प्रेरणा देता है। वह पारिवारिक संबंधों की निस्सारता को समझाता है और भगवान को दान देने के सांसारिक और पारलौकिक लाभ बताता है।

 हरिहर काका के भाई उन्हें  समझा-बुझाकर घर वापस ले जाते हैं और उनके परिवारों द्वारा अब हरिहर का विशेष ख्याल रखा जाता है । महंत अकसर हरिहर काका को जमीन ठाकुरबारी के नाम कराने की याद दिलाते रहते हैं किंतु हरिहर परिवार और भाइयों के मोह में ऐसा नहीं करते किंतु वे समझ जाते हैं कि उनकी जो विशेष देखभाल हो रही है उसका कारण जमीन है अतः वह महंत को सीधे -तौर पर मना भी नहीं करते। महंत को लगता है कि हरिहर भाइयों और ठाकुरबारी के बीच निर्णय नहीं ले पा रहे और धर्म संकट पर फ़ँस गए हैं इसलिए मौका देखकर एक रात हरिहर को उसके दालान से अगवा करवा लेते हैं । 

परिवार के लोग गाँव वालों के साथ ठाकुरबारी की तरफ़ जाते हैं जहाँ उन्हें बिलकुल शांति मिलती है। वे निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि यह कार्य महंत द्वारा कराया गया या डाकुओं द्वारा। तभी ठाकुरबारी की ओर से गोलियाँ चलने लगती हैं , गाँव  का एक युवक घायल हो जाता है शेष भाग जाते हैं । हरिहर काका के भाई  किसी तरह पुलिस को पैसा खिला कर वहाँ लाते हैं । मंदिर की छान-बीन में  एक बूढ़े पुजारी के अतिरिक्त कोई नहीं मिलता । काफ़ी देर बाद एक बंद कमरे से आवाज आने पर  उसको खुलवाया जाता है। हरिहर काका वहाँ से बुरी हालत में बरामद होते हैं । उन्हें मारा-पीटा गया था। उनके हाथ-पैर बँधे हुए थे उन्होंने बताया कि महंत और उनकी आदमियों ने उनसे मार-पीट की और जबरन अनेक लिखित और सादे कागजों में अँगूठे के निशान ले लिये थे। हरिहर काका और गँव के सामने महंत का असली चेहरा सामने आ गया था।  

हरिहर काका की महंत के प्रति धारणा बदल गई। वे अपने भाइयों के परिवार के साथ  कड़ी सुरक्षा में रहने लगे । अनेक लठैत और हथियार धारी लोग उनकी सुरक्षा के लिए रखे गए जो दिन और रात उनकी सुरक्षा करने लगे। इधर ठाकुरबारी  में भी अनेक डरावने , खतरनाक किस्म के साधु-महंत आने लगे गाँव का माहौल बदल गया। हर गली -नुक्कड़ पर हरिहर काका के विषय में चर्चा होने लगी। उनके दो दल बन गए। एक दल हरिहर काका के भाइयों के पक्ष मे था जिसका मानना था कि हरिहर को अपनी जमीन अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए क्योंकि खूँन का रिश्ता सबसे बड़ा होता हैं , वहीं दूसरा पक्ष ठाकुरबारी  के नाम जमीन लिखने की बात का समर्थक था । लेखक के अनुसार ये लोग मुफ़्त का हलवा-पूरी खाने वाले लालची वर्ग था। 

हरिहर काका के भाई उन पर दबाव बनाने लगे कि वे अपनी जमीन अपने भतीजे के नाम लिख दें। लेकिन इतने दिनों के घटनाक्रम से हरिहर काका को समझ आ गया था कि उनका महत्त्व तभी तक है जब तक जमीन उनके नाम है। लेखक के साथ इस बारे में चर्चा कर उन्होंने निर्णय लिया कि जीतेजी वह अपनी जमीन किसी दूसरे के नाम नहीं लिखेंगे । इसका एक कारण यह भी था कि गाँव में कुछ लोगों ने जब अपनी जमीनें दूसरे के नाम पर लिख दीं तो उन्हें बुढ़ापा कुत्ते की तरह गुजारना पड़ा था। हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी व्यवहारिक ज्ञान रखते थे और उन्होंने परिस्थिति को समझ लिया था। 

एक रात हरिहर के भाइयों के  सब्र का बाँध टूट गया और फ़िर उन्होंने  महंत से भी बुरा व्यवहार उनसे किया। उन्होंने हरिहर को मारा और धमकाया कि यदि अँगूठा नहीं लगाया तो जीते जी ही जमीन के भीतर गाड़ देंगे।   इस बार हरिहर किसी तरह भी डरे नहीं। वे मदद के लिए चिल्लाए। तभी गाँव के लोग वहाँ इकट्ठे हो गये तब तक महंत पुलिस को बुला लाता है।  इस घटना के बाद हरिहर अवसाद में चले जाते हैं। दोनों पक्षों द्वारा उनके लिए पुलिस सुरक्षा की माँग की जाती है। वे अलग रहने लगते हैं। इसी बीच एक नेता जी भी कोशिश में रहते हैं कि हरिहर अपनी जमीन गाँव में हरिहर उच्च विद्यालय नाम से हाई स्कूल खोलने के लिए दान कर दें। किंतु हरिहर अब इन षड़यंत्रों को समझने लगे है।अंततः नेताजी निराश हो जाते हैं। हरिहर के भाई और मंदिर के महंत दोनों इस हेतु सतर्क रहते हैं कि दूसरा पक्ष हरिहर पर जोर-जबरदस्ती न कर पाए , साथ ही वे अपने अच्छे और मधुर सद्भाव द्वारा हरिहर का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने को प्रयत्नशील हैं। 

गाँव के लोगों के बीच अभी भी हरिहर की जमीन मुख्य चर्चा का विषय है। गाँव में तरह तरह की चर्हाचाओं का बाज़ार गर्म  है । हालाँकि अवसाद ग्रस्त हरिहर अब मौन हो चुके हैं। उनकी सुरक्षा के लिए लगाए हुए  पुलिस वाले उनके रसोइए से खाना बनवा कर हरिहर के पैसों पर मज़े  उड़ा रहे हैं। कहानी में मिथिलेश्वर ने स्वार्थी और लालची समाज की सच्चाई को रोचक तरीके से प्रकट किया है। साथ ही एकाकी और वृद्ध जनों की समस्या को भी सामने ला दिया है।    

2.हरिहर काका पाठ के  बोध प्रश्न: 

1. कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं

उत्तर: कथावाचक और हरिहर काका  पड़ोसी थे और हरिहर काका  कथावाचक को बचपन में बेटे की तरह ही प्यार करते थे। इसका कारण हरिहर काका के संतान न होना था।  बड़े होने पर कथावाचक और हरिहर काका के बीच मित्रता का संबंध बना । उम्र का बड़ा अंतर होने पर भी उनके बीच अत्यंत लगाव था। हरिहर काका की गाँव में किसी अन्य से इतनी गहरी मित्रता कभी नहीं हुई थी। 

2. हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे? 

उत्तर: हरिहर काका की जमीन के लालच में महंत ने उनको अगवा कर लिया । उनके साथ मार-पीट की और जबरन उनके अँगूठे के निशान लिखे हुए और सादे कागज़ों में ले लिये। इसके बाद हरिहर काका अपने भाइयों के साथ रहने लगे। किंतु जमीन के लालची उनके भाइयों ने भी एक रात उनके साथ मार-पीट की और जान से मारने की धमकी दी और उनके अँगूठे के निशान ले  लिये। इसी कारण  हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगने लगे। 

3. ठाकुरबारी के प्रति लोगों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?

उत्तर: ठाकुरबारी के प्रति लोगों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं, उससे उनके सरल हृदयता , ईश्वर के प्रति आस्था और धार्मिक मनोवृत्ति का पता चलता है।

4. अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के द्वारा स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: हरिहर काका  को परिवार में कोई महत्त्व नहीं मिलता था किंतु महंत द्वारा ठाकुरबारी ले जाने और जमीन ठाकुरबारी के नाम लिख देने वाली बात जान कर उनके परिवार में उनकी उचित देखभाल होने लगी थी।  इसके अतिरिक्त उनके गाँव की रमेसर की विधवा की स्थिति को भी उन्होंने देखा था । रमेसर की विधवा  को रमेसर के भाइयों ने फ़ुसलाकर उसके हिस्से की जमीन  अपने नाम लिखवा ली थी । बुढापे में उसकी बड़ी दुर्गति हुई थी । वह दो जून खाने को भी तरस गई थी। उसकी स्थिति सोच कर ही गाँव वाले सिहर जाते थे। इन सब अनुभवों के कारण  हरिहर काका  को जमीन  का महत्त्व स्पष्ट हो गया और उन्होंने निर्णय लिया कि जीते जी वह अपनी जमीन किसी दूसरे के नाम नहीं लिखेंगे। इस सब से यह कहना उचित है कि वह अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं।

5.हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले लोग कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया?

उत्तर: हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले लोग  महंत के आदमी थे। उन्होंने उनके साथ मारपीट की उनके हाथ-पैर बाँध दिये और मुँह में कपड़ा ठूस दिया।इसके बाद जबरन उनके अँगूठे के निशान  लिखे हुए और सादे कागजों में अँगूठे के निशान ले लिये थे।

6.  हरिहर काका के मामले में गाँववालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?

उत्तर: हरिहर काका के मामले में गाँव दो अलग वर्गों में बँट गया था । एक वर्ग ठाकुरबाड़ी के महंत और साधु संतों के साथ था जो सोचता था कि काका को आपनी जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखकर अपना नाम अमर कर लेना चाहिए और वे ऐसा धार्मिक कार्य करके सीधे स्वर्ग को जायंगे। जबकि दूसरे वर्ग के लोग ये सोचते थे कि काका को अपनी जमीन अपने भाईयों के नाम लिख देनी चाहिए, क्योंकि काका से उनका खून का रिश्ता था । ऐसे लोग पारिवारिक महत्त्व जानते थे।

 

7. कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”

उत्तर: मृत्यु अटल सत्य है और कभी न कभी तो मरना ही है अतः मृत्यु से व्यर्थ डरना है। इस ज्ञान को हरिहर काका ने महसूस कर लिया था। वे बूढ़े थे किंतु मरने से पहले वे दाने -दाने को तरसना और दूसरे पर निर्भर होना नहीं चाहते थे। जब काका को ज्ञान हो जाता है तो उन्हें वे सब लोग याद आ जाते है जिन्होंने परिवार के मोह में फँसकर अपनी जायदाद दूसरे के नाम कर दी और बाद में तिल - तिल मरे।स्वयं अपने ऊपर हुए हमलों से भी उन्हें समाज की वास्तविकता का ज्ञान हो चुका था। इसलिए उनके भीतर से मृत्यु का डर खत्म हो गया था। हरिहर काका की इस मनोस्थिति के कारण ही लेखक ने उपर्युक्त कथन कहा।

 

8. समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर: समाज में रिश्तों‍ की विशेष अहमियत होती हैं। हम रिश्तों‍ की एक अदृश्य डोर से बधें रहते है। जिनके कारण व्यक्ति एक दूसरे के दुख -सुख में काम आता है। पर आज समाज में मानवीय मूल्य तथा परिवारिक मूल्य धीरे धीरे कम होता जा रहा है। ज्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं। लोग अमीर लोगों का सम्मान करते हैं और गरीब लोगों को नीचा समझते हैं यहाँ तक कि स्वयं के गरीब रिश्तेदारों से भी संबंध नहीं रखना चाहते हैं। केवल स्वार्थ सिद्धि की अहमियत रह गई है। लोग पैसे, जमीन जायदाद के लिए हत्या, अपहरण जैसा नीच कार्य करते हुए भी हिचकिचाते नहीं। हरिहर काका पाठ में भी हमें यही देखने को मिलता है।

 

9. यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?

उत्तर: यदि हमारे घर के पास कोई हरिहर काका जैसे दशा में होगा तो हम उसकी हर संभव मदद करेंगे। हम उसके परिवार के साथ हर संबंध सुधारने की कोशिश करेंगे।  उसके रिश्तेदारों को समझाएंगे कि उस व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार ना करने की सलाह देंगे।उन्हें बताएंगे कि धन दौलत से बढ़कर मानवीय मूल्य और आपसी प्यार आवश्यक है। अन्यथा यही व्यवहार बुढापे और असहाय अवस्था में उनके साथ भी हो सकता है। अगर फ़िर भी उसके साथ कुछ गलत होता है तो हम मीडिया और पुलिस की मदद लेने से भी पीछे नहीं हटेंगे और व्यक्ति को इंसाफ जरूर दिलवाएंगे। हम ऐसे अकेले वृद्ध व्यक्ति को किसी वृद्धाश्रम में रहने की सलाह देंगे । जहाँ उनकी उचित देखभाल हो सके।

 

10. हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: हरिहर काका के गांव में यदि मीडिया की पहुंच होती तो स्थिति एकदम विपरीत होती। ऐसी स्थिति में हरिहर काका को अपने भाइयों और ठाकुरबारी के डर के साये में ना जीना पड़ता और ना ही उनकी ऐसी दुर्गति होती। उनके भाई भी हरिहर काका पर अत्याचार न कर पाते। अगर ऐसी कोई खबर अखबार या टेलीविजन में प्रसारित होती तो महंत और हरिहर काका के भाइयों के परिवार पर त्वरित कार्यवाही होती । हरिहर काका की मदद के लिए समाजसेवी संस्थाएँ तथा वृद्ध आश्रम आगे आते। हरिहर काका के अपरहण की बात मीडिया की आवाज बन जाती। इससे पुलिस को तत्काल महंत और उसके पक्षधरों पर कार्रवाई करनी पड़ती और हरिहर काका को न्याय व सम्मानजनक जीवन मिलता ।


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