दाल पर आधारित मुहावरे
दाल प्रोटीन का बड़ा स्रोत तो है ही साथ ही यह भारतीय थाली की शान है। दाल के बिना भारतीय भोजन पूरा ही नहीं हो सकता । न जाने कितने ही खट्टे , मीठे और नमकीन भोजन दाल से बनाए जाते है। चाहे दही भल्ले हों , ढोकला हो य सिर्फ़ दाल तड़का या फ़िर बेसन के लड्डू और मैसूर पाक हों । दाल के बिना बनाने संभव ही नहीं। दाल खाने में जितनी मज़ेदार लगती है उतने ही मज़ेदार दाल पर आधारित ये मुहावरे लगते हैं जो अपने विशिष्ट अर्थ से भाषा में नया ही जायका और अर्थ की संरचना करते हैं तो आइए देखते हैं कि हिंदी में इन मुहावरों के क्या अर्थ निकलते हैं और इनका वाक्य प्रयोग कैसे करना चाहिए।
मुहावरा : घर की मुर्गी दाल बराबर
अर्थ: अपने निकट वाले व्यक्ति की योग्यता को महत्त्व/ सम्मान न देना
वाक्य प्रयोग 1. राधिका की माँ के सिले हुए कपड़ों की तारीफ़ तो पूरी दुनिया करती है पर राधिका को माँ के सिले हुए कपड़े पसंद ही नहीं आते । इसीलिए तो कहते हैं कि घर की मुर्गी दाल बराबर।
वाक्य प्रयोग 2. किरन बेदी ने तिहाड़ जेल में कैदियों के लिए कई सुधार किए , लेकिन भारत में किसी ने उनकी प्रतिभा को महत्त्व नहीं दिया। जब विदेश से उन्हें इस कार्य के लिए रैमन मैग्ससे पुरस्कार मिला, तब जाकर लोगों की आँखें खुली। यहाँ तो घर की मुर्गी दाल बराबर वाला ही हिसाब रहता है।
मुहावरा: उड़द पर सफ़ेदी के बराबर होना
अर्थ: जरा भी न होना , किसी वस्तु का पूरी तरह अभाव
वाक्य प्रयोग1. तुम्हें परीक्षा में फेल होने में क्यों बुरा लगेगा? शर्म तो तुम में उड़द पर सफ़ेदी के बराबर ही है।
वाक्य प्रयोग 2 . माता-पिता की इज्जत धूल में मिलाते हुए तुम्हें उड़द पर सफ़ेदी के बराबर भी शर्म न आई।
मुहावरा : दाल भात में मूसलचंद
अर्थ : अनावश्यक हस्तक्षेप , जबरन दखलअंदाजी
वाक्य प्रयोग1. अरे भाई ! तुम क्यों यहाँ दाल भात में मूसलचंद बनने आ गए? तुम्हें किसी ने बुलाया तो न था।
वाक्य प्रयोग 2. रमेश और सुरेश जब भी अपनी पैतृक संपत्ति के बँटवारे की बात करना चाहते हैं उनका दोस्त मनोहर दाल भात में मूसलचंद बनने के लिए टपक पड़ता है।
मुहावरा : ये मुँह और मसूर की दाल
अर्थ : अयोग्य व्यक्ति द्वारा महत्त्वपूर्ण वस्तु की माँग
वाक्य प्रयोग1. खराब लेख होने पर भी जब मनोज ने पार्कर पेन खरीद ली तो सबने कहा ,ये मुँह और मसूर की दाल?
वाक्य प्रयोग 2. तुम पहले कुछ योग्यता हासिल कर लो फ़िर अच्छी नौकरी की उम्मीद करना। ये मुँह और मसूर की दाल भली नही।
मुहावरा : आटे दाल का भाव पता करना
अर्थ : सच्चाई से सामना, असलियत से वाकिफ़ होना
वाक्य प्रयोग1. पिता जी के रिटायर होने पर जब संतोष के सिर पूरे घर का खर्च आ गया तब जाकर उसे आटे -दाल के भाव मालूम पड़े।
वाक्य प्रयोग 2. दूसरे के धन पर मज़े उड़ाना तो आसान है , जब खुद कमाओगे तब उसे आटे -दाल के भाव मालूम पड़ेंगे।
मुहावरा :दाल भात का कौर समझना
अर्थ: आसान काम समझना।
वाक्य प्रयोग1. आई.एस की परीक्षा पास करना कोई दाल-भात का कौर नहीं कि हर कोई कर लेगा।
वाक्य प्रयोग 2. जज तो बन गए हो लेकिन हर एक को न्याय दिला पाना कोई दाल-भात का कौर मत समझो।
मुहावरा- दाल न गलना-
अर्थ : सफ़ल न होना , इच्छा पूरी न होना
वाक्य प्रयोग1. बहुत से लोगों ने कश्मीर को हमारे देश से अलग करने की कोशिश की , किंतु किसी की दाल न गली ।
वाक्य प्रयोग 2 अरे भाई ! कहीं और जाओ। यहाँ तुम्हारी दाल न गलेगी।
मुहावरा : दाल में काला होना
अर्थ : गड़बड़ होना, घोटाला होना
वाक्य प्रयोग1. मुझे इस आदमी के चाल -ढाल सही नहीं लग रहे। जरूर दाल में कुछ काला है।
वाक्य प्रयोग 2 जब चोर ने खुद ही सारा दोष खुद कबूल कर लिया तो इंस्पेक्टर ने दिमाग ठनका। उसने सोचा कि जरूर दाल में कुछ काला है।
मुहावरा : दाल रोटी चलना
अर्थ : जीवन निर्वाह होना, घर खर्च चल जाना
वाक्य प्रयोग1. रमेश आजकल बड़ी मुसीबत के दौर से गुजर रहा है। किसी तरह दाल रोटी चल रही है।
वाक्य प्रयोग 2 महँगाई के कारण हालत ये है कि दोनों पति-पत्नी मिलकर काम करते हैं तब जाकर बड़ी मुश्किल से दाल रोटी चलती है।
मुहावरा : छाती में दाल दलना / छाती में मूँग दलना
अर्थ : पास रह कर कष्ट देना या किसी निकट वाले व्यक्ति द्वारा कष्ट देना
वाक्य प्रयोग1. जिस लड़की को अच्छे गुण वाली समझ कर कमला बहू बना कर लाई थी वही अब उसकी छाती पर दाल दल रही है।
वाक्य प्रयोग 2 . पहले तो सुमन ने धोखे से बड़े भाई की सारी जमीन खुद के नाम लिखवा ली। अब उसी के घर के पास अपना बँगला बनवा कर भाई की छाती पर मूँग दल रही है।
**************
No comments:
Post a Comment