NCERT DURVA PART 3 CH1 GUDIYA KA BHAVARTH पाठ 1 गुड़िया कविता का भावार्थ
गुड़िया कविता के रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं। कवि ने इस कविता के माध्यम से बाल मनोभावों का सुंदर चित्रांकन किया है। यहाँ पर इस कविता का भावार्थ दिया गया है।
काव्यांश 1:
मेले से लाया हूँ इसको
छोटी सी प्यारी गुड़िया
बेच रही थी इसे भीड़ में
नुक्कड़ पर बैठी बुढ़िया
संदर्भ : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक दुर्वा भाग 3 से ली गई है। इसके रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं । उन्होंने इस काव्य के माध्यम से एक बाल मन की मधुर भावनाएँ व्यक्त की हैं । इस काव्यांश में नन्हें बालक के खिलौनों के प्रति लगाव को दर्शाया गया है।
भावार्थ : एक छोटा बालक मेले से गुड़िया ले कर आया है और प्रसन्नता से बता रहा है कि वह अपनी छोटी सी प्यारी सी गुड़िया मेले से लाया है । इस गुड़िया को मेले की भीड़ में एक बुढ़िया बेच रही थी जो सड़क के कोने पर बैठी हुई थी।
काव्यांश 2:
मोल भाव करके लाया हूँ
ठोक बजाकर देख लिया
आँखें खोल मूँद सकती है
यह कहती है पिया पिया
संदर्भ : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक दुर्वा भाग 3 से लिया गया है। इसके रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं । उन्होंने इस काव्य के माध्यम से व्यक्त की हैं । इस काव्यांश में जहाँ कवि ने बालक की मासूमियत को प्रस्तुत किया है वहीं उसका व्यवहारिक ज्ञान भी दिखाई देता है।
भावार्थ : बच्चा बता रहा है कि उसने ऐसे ही इस गुड़िया को नहीं खरीद लिया। उसने अच्छी तरह मोल भाव किया और गुड़िया को काफ़ी देर मोल-भाव करने के बाद अच्छी तरह से परख कर सौदा किया है। उसकी यह गुड़िया अपनी आँखें खोल और बंद कर सकती है और यह पिया- पिया की आवाज़ भी निकाल सकती है।
काव्यांश 3:
जड़ी सितारों से है इसकी
चुनरी लाल रंग वाली
बड़ी भली हैं इसकी आँखें
मतवाली काली-काली ।
संदर्भ : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक दुर्वा भाग 3 से लिया गया है। इसके रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं । उन्होंने इस काव्य के माध्यम से एक छोटे बच्चे की भावनाएँ व्यक्त की हैं । इस काव्यांश में बच्चा अपनी गुड़िया की सुंदरता के बारे में बता रहा है।
भावार्थ : इन पंक्तियों के द्वारा बच्चा गुड़िया की सूंदरता का वर्णन उसकी गुड़िया के कपड़ॊम और आँखों के बारे में बता कर करता है। बच्चा बताता है कि उसकी गुड़िया ने सितारों जड़ी लाल रंग की चुन्नी ओड़ रखी है । गुड़िया की बड़ी-बड़ी सुंदर मनमोहने वाली काली आँखें भी है। इससे पता चलता है कि बच्चा गुड़िया के प्रति बहुत आकर्षित है।
काव्यांश 4:
ऊपर से है बड़ी सलोनी
अंदर गुदड़ी है तो क्या?
ओ गुड़िया तू इस पल मेरे
शिशुमन पर विजयी माया।
संदर्भ : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक दुर्वा भाग 3 से लिया गया है। इसके रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं । इस काव्यांश में बच्चा बता रहा कि वह यह सच्चाई जानता है कि गुड़िया पुराने कपड़ों से बनी है फिर भी उसे गुड़िया बहुत पसंद है ।
भावार्थ : बच्चा बताता है कि उसकी गुड़िया बहुत सुंदर है । भले ही गुड़िया फ़टे-पुराने कपड़ों से बनी हुई है फ़िर भी बच्चे को गुड़िया बहुत पसंद आ रही है। कवि के अनुसार इस क्षण में मानों बालक के बाल मन पर गुडिया ने विजय पा ली हो।
काव्यांश 5:
रखँगा मैं तुझे खिलौनों की
अपनी अलमारी में।
कागज़ के फूलों की नन्हीं
रंगारंग फुलवारी में ।
संदर्भ : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक दुर्वा भाग 3 से लिया गया है। इसके रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं । इस काव्यांश में बच्चा गुड़िया के रख-रखाव व अच्छी देखभाल की योजना बना रहा है। ।
भावार्थ : बच्चे को गुड़िया बहुत पसंद है । इसलिए वह गुड़िया को संबोधित करते हुए कहता है कि वह अपनी खिलौनों की अलमारी में गुड़िया को रखना चाहता है। इस से यह बात भी पता चलती है कि बालक अपना सामान व्यवस्थित रखता है। वह गुड़िया को कागज़ के फूलों के नन्हीं रंगीन फुलवारी में गुड़िया को सजाएगा।
काव्यांश 6:
नए-नए कपड़े गहनों से
तुझको रोज सजाऊंगा
खेल खिलौनों की दुनिया में
तुझको परी बनाऊँगा।
संदर्भ : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक दुर्वा भाग 3 से लिया गया है। इसके रचयिता कवि कुँवर नारायण सिंह हैं । इस काव्यांश में कवि ने बालक की सुँदरता और अच्छे कपड़ों की अभिरुचि भी दर्शायी है।
भावार्थ : बच्चे को गुड़िया इतनी पसंद है कि जहाँ गुडिया के लिए आकर्षण दिखता है वहीं बालक के गुड़िया से कहता है कि वह गुड़िया को नित्य ही नए कपड़े और गहनों से पहनाएगा और सजाएगा । साथ ही अपने खेल - खिलौनों की दुनिया में गुड़िया को एक परी की तरह रखेगा। इन पंक्तियों से पता चलता है कि बालक अपनी गुड़िया से बहुत प्यार करता है।
कवि कुँवर नारायण
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