Monday, August 28, 2023

क़दम मिलाकर चलना होगा- अटल बिहारी वाजपेयी

क़दम मिलाकर चलना होगा- अटल बिहारी वाजपेयी 



बाधाएँ आती हैं आएँ,

घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,

पावों के नीचे अंगारे, 

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,

निज हाथों में हँसते-हँसते, 

आग लगाकर जलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रुदन में , तूफ़ानों में,

अमर असंख्यक बलिदानों में ,

उद्यानों में, वीरानों में, 

अपमानों में, सम्मानों में

उन्नत मस्तक, उभरा सीना, 

पीड़ाओं में पलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में, 

कल कहार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में, 

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में
,
जीवन के शत-शत आकर्षक, 

अरमानों को ढलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, 

प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, 

असफल, सफल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते, 

पावस बनकर ढ़लना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुश काँटों से सज्जित जीवन, 

प्रखर प्यार से वंचित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुबन, 

परहित अर्पित अपना तन-मन,

जीवन को शत-शत आहुति में, 

जलना होगा, गलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

 कवि - पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी 

Sunday, August 27, 2023

उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।Uth Jag manush likh bhagy tera

उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।Uth Jag manush likh bhagy tera 

प्रातः का सुंदर समय नई योजनाएँ बनाने का होता है। सुबह की किरण जीवन में नया उत्साह भर देती है। ऐसे सुंदर समय को सो कर खोना उचित नहीं है। प्रातः नव जागरण, नव उत्साह का समय है। सुबह उठ कर कार्य करने की प्रेरणा देती एक कविता:उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा;

उड़ चले विहग भोर का गीत गाने।
बह उठी हवा नूतन राग ताने।।
नई किरण लाई नया सवेरा।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा।।

पंछियों ने गगन में पंख खोले।
मृदु मधु मधूप मधुवन में घोले।।
नव तूलिका से सृष्टि ने रंग उकेरा ।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।

रश्मि रथी ने रंग चहुं दिश बिखेरा।

ले अंगड़ाइयां जागी धरा भागा अंधेरा।
त्याग तंद्रा तोड़ शिथिलता का घेरा ।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।

नवकांक्षा का अंतस में संचार कर।
हारे हृदय में नव्य उत्साह भर ।।
अभिनव सृजन का बन जा चितेरा।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा।।

मौलिक रचना; कुसुम लता जोशी

Wednesday, August 2, 2023

रंग-बिरंगे फूल

रंग-बिरंगे फूल(कविता) 

बच्चों को कविताएँ गाना बहुत पसंद होता है। गा कर सीखने से जल्दी याद भी हो जाता है । इसीलिए छोटे बच्चों के लिए रंग-बिरंगे फूलों पर यहाँ दो कविताएँ दी गई हैं , हमें विश्वास से इनसे बच्चों का भाषा ज्ञान तो बढ़ेगा ही प्रकृति- प्रेम और काव्य में रुचि भी जागेगी । 

रंग-बिरंगे फूल (कविता एक) 


बगिया सजी रंग-बिरंगे फूल,

मधुवन बनी जगत की धूल।

बनते हैं सपने, भर जाते आँखें,

हर बार नया रंग चढ़ता है मन में।

 

बगिया सजी रंग-बिरंगे फूल,

होंगे इसमें कितने ही काँटे और शूल।

आओ इनसे सीखें दुख को हराना,

हँसते-हँसते दुख सारे पी जाना।

 

बगिया सजी रंग-बिरंगे फूल

संग-संग झूमे, खिलते हुए फूल।

इनसे सीखो संग मिलजुल कर रहना।

भेदभाव छोड़ एक हो जाना ।

 

बगिया सजी रंग-बिरंगे फूल,

प्रकृति की छाँव में खिले ये फूल,

कहते तुमसे न छोड़ो कोई सपना अधूरा,

दृढ़-निश्चय से होगा हर प्रण पूरा।

कवयित्री : कुसुम लता जोशी  





रंग-बिरंगे फूल (कविता दो)

रंग-बिरंगे फूल खिले बगिया में,

हर मौसम के साथ जीवन के रंग बढ़ाते।

सौंधी खुशबू से महकते जग में,

मन को भाते हैं, बहुत लुभाते।

आंधी से झड़ते हैं, तो बहारों में,
नए रंगों से, नवीन रूप धारते।
सृष्टि के रंगीन, सृजन में,
बसंती फूलों से, सुंदरता बिखराते।

अपनी सुषमा से उमंग भरते जीवन में ,
प्रफुल्लित मन को उत्साह दिलाते।
हँसते- खिलखिलाते उपवन में
रंग-बिरंगे फूल, नूतन बसंत ले आते

कवयित्री : कुसुम लता जोशी

विराम चिह्न ‘Punctuation

 विराम चिह्न /Punctuation  छोड़ो मत मारो   मोटे वाक्यों को आप निम्न में से किसी एक प्रकार से पढ़ सकते हैं।  "छोड़ो ,मत मारो  ।"  &quo...