Tuesday, September 19, 2023

हिंदी अपठित गद्यांश

 हिंदी अपठित गद्यांश

  1.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए- 

शहरी जीवन में समस्याएं आए दिन पैदा होती रहती है, जिनका शीघ्र समाधान न ढूंढा जाए, तो समाज में असुरक्षा तथा अन्याय-अनाचार की भावना प्रबल होती जाती है। अतः पारिवारिक अदालतों की स्थापना का निर्णय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इन अदालतों के सूझ-बूझ भरे फैसले किसी भी टूटते हुए परिवार की शांति को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। यदि इन अदालतों में मामले मुकदमे तूल पकड़ने के पहले ही सुलझा दिए जाएँ तो आपसी विचार-विमर्श और समझौते का भाव प्रबल हो सकेगा तथा कानूनी दाँव-पेचों की दुर्दशा से परिवारों की रक्षा हो सकेगी। न्यायालय के बढ़ते हुए खर्च से भी लोग राहत पा सकेंगे, साथ ही सरकारी न्यायालयों पर से काम का बोझ भी कम हो सकेगा और आम जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा। भारत में पारिवारिक अदालतों की नितांत आवश्यकता है क्योंकि इस देश की बहुसंख्यक जनता अशिक्षित, निर्धन तथा समस्याओं से ग्रस्त है। पारिवारिक अदालतों का यह सकारात्मक प्रयास आम लोगों के जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। यह निम्न वर्ग के लिए लाभदायक होगा। यह न केवल परिवारों के बिखराव को बचाने का प्रयास होगा, अपितु इसके माध्यम से, विशेषकर निम्न वर्ग को अत्यधिक लाभ होगा, जिससे वह एक उचित दिशा प्राप्त कर सकेंगे।

(क) गद्यांश के अनुसार समाज में असुरक्षा, अन्याय, अनाचार के बढ़ने का क्या कारण है?

(i) अशिक्षा और निर्धनता                             

(ii) ऊँच-नीच का भेदभाव

(iii) समस्याओं का शीघ्र समाधान न होना।

(iv) धनी और ताकतवर लोगों का प्रभाव

(ख) पारिवारिक अदालतों के विषय में कौन सा कथन सत्य नहीं है?

(i) इनके फ़ैसलों में अधिक समय नहीं लगता।

(ii) इनके मामले परिवार में ही सुलझा दिए जाते हैं।

(iii) इनके धन का व्यय कम होता है।

(iv) इनके फ़ैसले टूटते परिवारों को जोड़ सकते हैं।

(ग) पारिवारिक अदालतों से क्या संभव हो पाएगा?

(i)अशिक्षा और निर्धनता से मुक्ति 

(ii) सामाजिक समस्याओं का निदान 

(iii) सरकारी न्यायालयों पर काम का कम दबाव  

(iv) अन्याय व अनाचार की प्रबल भावना

 (घ) भारत में पारिवारिक अदालतों की स्थापना अत्यंत महत्त्वपूर्ण  क्यों है?

(i) समाज में व्याप्त अनेक समस्याओं के कारण  

(ii) न्यायालयों में कानूनी दाँव -पेंच अधिक होने के कारण

(iii) जनता के अशिक्षित, निर्धन और समस्याग्रस्त होने के कारण

(iv) इन अदालतों के फैसले टूटते हुए परिवार को बिखराव से बचा सकते हैं

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार पारिवारिक अदालतों का अत्यधिक लाभ किस वर्ग को होगा?

(i) धनी वर्ग को                       (ii) मध्यम वर्ग को

(iii) निम्‍न वर्ग को                     (iv)  किसी को नहीं

 2.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए- 

साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता कैसी है आप अपनी बात स्पष्ट रूप से प्रभावशाली तरीके से रख पा रहे हैं, तो निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए विद्यार्थियों को प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी बोलने की शक्ति को बढ़ाएँ। अच्छे शब्दों का चुनाव करें। घटिया एवं द्विअर्थी शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। इसी प्रकार आपके वाक्य जटिल न होकर सरल और  सुबोध हों। कठिन शब्दों एवं जटिल वाक्यों का प्रयोग आपकी भाषा को कृत्रिम बना देता है।

इसके अतिरिक्त बोर्ड के समक्ष आपका व्यवहार अत्यंत संतुलित और सौम्य होना चाहिए अर्थात् आपको बोलचाल के लहजे में सौम्यता होनी चाहिए। यदि आप सदस्य की किसी बात से सहमत नहीं है, तो पूरी विनम्रता के साथ उसका खंडन करें। यदि आप ऐसे अवसरों पर उग्रता अपनाते है, तो वह आपके असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक होगा। यदि आप किसी प्रश्न का उत्तर दे पाने की स्थिति में नहीं हैं, तो उसके लिए अफसोस व्यक्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए। सदस्य इस बात को समझते हैं कि जरूरी नहीं कि आप सभी प्रश्नों के उत्तर दे सके। गलत उत्तर देकर सदस्यों को मूर्ख बनाने का प्रयत्न कदापि न करें। इसी तरह साफ एवं स्पष्ट उत्तर न देने पर आप स्वयं फँस सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में सदस्य आपसे उस उत्तर का स्पष्टीकरण मांगेगे और आप अनावश्यक उलझते चले जाएंगे। इसलिए बोलना साक्षात्कार की एक आदर्श नीति मानी जाती है, जो जितना अधिक बोलेगा, उसके पकड़ में आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।

 

(क) साक्षात्कार की सफलता के लिए किस प्रकार की भाषा का अभ्यास आवश्यक माना गया है?

(i) प्रभावशाली वक्तव्य की भाषा       (ii) क्लिष्ट एवं साहित्यिक भाषा

(iii) स्पष्ट एवं सरल सुबोध भाषा      (iv) कृत्रिम भावाभिव्यक्ति की भाषा

(ख) बोर्ड की बात से सहमत न होने की स्थिति में परीक्षार्थी के लिए क्या आवश्यक है?

(i) तथ्यों को चुपचाप स्वीकार करना।     

(ii) बात को तुरंत नकार देना ।

(iii) बात का विनम्रतापूर्वक खंडन करना।

(iv) किसी बात पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त न करना।

(ग) बोर्ड की बात पर असहमत होकर उग्रता अपनाना किस बात का परिचायक है?

(i) असंतुलित व्यक्तित्व का               (ii) असंतुलित व्यवहार का

(iii)परिवार द्वारा दिए गए आदर्श का   (iv) समाज द्वारा सीखे गए आचरण का

(घ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि साक्षात्कार की आदर्श नीति क्या है?

(i) सरल सुबोध भाषा का प्रयोग                (ii) कथन का स्पष्टीकरण करना

(iii) प्रश्न के उत्तर की जानकारी होना      (iv) ज्यादा न बोलना

(ङ)अपनी बात को स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीके से रखने के लिए क्या करना चाहिए?

(i) अपनी बोलने की शक्ति बढ़ानी चाहिए

(ii) अच्छे शब्दों का चुनाव करना चाहिए

(iii)घटिया या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(iv) ये सभी ।

3..निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-                                                  5

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में उसके मित्र भी होते हैं, शत्रु भी परिचित भी, अपरिचित भी। जहाँ तक शत्रुओं, परिचितों और अपरिचितों का प्रश्न है, उन्हें पहचानना बहुत कठिन नहीं होता, किंतु मित्रों को पहचानना कठिन होता है। मुख्यतः सच्चे मित्रों को पहचानना बहुत कठिन होता है यह प्रायः देखा गया है कि एक ओर तो बहुत से लोग अपने-अपने स्वार्थवश सम्पन्न, सुखी और बड़े आदमियों के मित्र बन जाते हैं या ज्यादा सही यह होगा कि यह दिखाना चाहते हैं कि वे मित्र हैं। इसके विपरीत जहाँ तक गरीब, निर्धन और दुःखी लोगों का प्रश्न है मित्र बनाना तो दूर रहा, लोग उनकी छाया से भी दूर भागते हैं। इसीलिए कोई व्यक्ति हमारा वास्तविक मित्र है या नहीं, इस बात का पता हमें तब तक नहीं लग सकता, जब तक हम कोई विपत्ति में न हों। विपत्ति में नकली मित्र तो साथ छोड़ देते हैं और जो मित्र साथ नहीं छोड़ते, वास्तविक मित्र वे ही होते हैं। इसीलिए यह ठीक ही कहा जाता है कि विपत्ति मित्रों की कसौटी है।

1- समाज में किसको पहचानना कठिन है।

(क) सच्चे मित्र को               (ख) शत्रु को

(ग) सदाशय व्यक्ति को           (घ) चालाक व्यक्ति को

2- संपन्न लोगों से लोग कैसा व्यवहार करते हैं?

(क) उनसे लोग ईर्ष्या करते हैं ।     (ख) लोग उनके मित्र बन जाते हैं।

(ग) लोग उनसे उदासीन रहते हैं।  (घ) उनकी छाया भी नहीं छूते।

3. सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?

(क) विपत्ति की घड़ी में            (ख) सुख की घड़ी में

(ग) मिलने जुलने  पर            (घ) मेले - उत्सव में

4- वास्तविक शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है।

(क) वास्तव + ईक         (ख) वास्तव + इक

(ग) वास्तव + विक        (घ) वास्त + विक

5. विपत्ति के समय कौन साथ छोड़ देता है?

(क)वास्तविक मित्र         (ख) नकली मित्र

(ग) सच्चा मित्र           (घ) निर्धन मित्र

4.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-                                            5

जिस विद्यार्थी ने समय की कीमत जान ली, वह सफलता को अवश्य प्राप्त करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दिनचर्या की समय-सारणी अथवा तालिका बनाकर उसका पूरी दृढ़ता से पालन करना चाहिए। जिस विद्यार्थी ने समय का सही उपयोग करना सीख लिया उसके लिए कोई भी काम करना असंभव नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी है जो कोई काम पूरा न होने पर समय की दुहाई देते हैं। वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत होती है। अपनी अकर्मण्यता और आलस को वे समय की कमी के बहाने छिपाते है। कुछ लोगों को अकर्मण्य रह कर निठल्ले समय बिताना अच्छा लगता है। ऐसे लोग केवल बातूनी होते हैं दुनिया के सफलतम व्यक्तियों ने सदैव कार्य व्यस्तता में जीवन बिताया है। उनकी सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग रहा है। दुनिया में अथवा प्रकृति में हर वस्तु का समय निश्चित है। समय बीत जाने के बाद कार्य फलप्रद नहीं होता।

1. विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है-

(क) समय की दुहाई देना          (ख) समय की कीमत समझना

(ग) समय पर काम करना         (घ) दृढ़ विश्वास बनाए रखना

2. विद्यार्थी को समय का सही उपयोग करने के लिए निम्न में से क्या करना चाहिए?

(क) समय-तालिका बनाकर उसका पालन करना चाहिए।  

(ख) समय की कमी के बहाने बनाने चाहिए।

(ग)अकर्मण्य और निठल्ले रह कर जीवन बिताना चाहिए।       

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।

3- कुछ लोग समय की कमी के बहाने क्या छुपाते हैं

(क) अपनी अकर्मण्यता और आलस्य      (ख) अपना निठल्लापन

(ग) अपनी विभिन्न कमियां              (घ) अपना बातूनीपन

4- दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य क्या है?

(क) समय की बर्बादी       (ख) समय का प्रयोग

(ग) समय की कीमत       (घ) समय का सदुपयोग

5- कार्य किस स्थिति में फलप्रद नहीं होता-

(क) समय न आने पर        (ख) समय कम होने पर

(ग) समय बीत जाने पर      (घ) समय अधिक होने पर

5.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-                                            5

लगभग दो सौ वर्ष की गुलामी ने भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान को पैरों से रौंद डाला, हमारी संस्कृति को समाप्त कर दिया, हमारे विश्वासों को हिला दिया और हमारे आत्मविश्वास से चकनाचूर कर दिया। किंतु अपने इस बूढे देश से प्यार करने वाले, इसके एक सामान्य संकेत पर प्राण न्योछावर करने वाले दीवानों का अभाव न था। एक आवाज उठी और देखते ही देखते राष्ट्र का दबा हुआ आत्मविश्वास उन्मत्त हो उठा। इतिहास साथी है- जाने और अनजाने सहस्रों देशभक्त स्वतंत्रता की अनमोल निधि को पाने के लिए शहीद हो गए। आज स्वतंत्रता की अनमोल निधि को सुरक्षित रखने का दायित्व नवयुवकों पर है। हमारे नवयुवकों ने अभी तक अपने दायित्व को सफलतापूर्वक निभाया है और पूर्ण विश्वास है आगे भी हम अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखेंगे।

(1) गुलामी के दो सौ वर्षों ने भारत को कैसे क्षतिग्रस्त किया?

(i) स्वाभिमान को पैरों से रौद डाला    (ii) हमारे विश्वासों को हिला दिया

(iii) हमारी संस्कृति को समाप्त किया    (iv)उपर्युक्त सभी

(2)भारत को बूढ़ा देश क्यों कहा गया है?

(i) क्योंकि हमारी संस्कृति अति प्राचीन है  (ii) क्योंकि यहाँ बूढे अधिक रहते हैं

(iii) क्योकि हमे अन्य देश शिथिल मानते है (iv) क्योंकि यहाँ युवा कम है

(3) 'एक आवाज़ उठी' लेखक किस आवाज की बात कर रहा है?

(i) विदेशियों की आवाज़         (ii) दुश्मनों की आवाज़

(iii) भारत माता की आवाज़      (iv) गुलामों की आवाज़

(4) इतिहास साक्षी है:

(i) स्वाभिमान का   (ii) देशभक्ति  (iii) शहीदों का   (iv) उपर्युक्त सभी

(5) उपरोक्त अनुच्छेद के अनुसार स्वतंत्रता का दायित्व किस पर है?

(i) नवयुवकों पर   (ii) देशभक्तों   (iii) शहीदोंपर   (iv) आनेवाली पीढ़ी पर  

6.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक सही विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिए-   

दुनिया के विभिन्न देशों के विकास पर विहंगम दृष्टि डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि आज जिस देश ने वैज्ञानिक उपलब्धियों के सहारे अपना औद्योगिककरण  कर लिया, उसी को उन्नत देश कहा जाता है। जिस देश में औद्योगिककरण  का स्तर नीचा है, वह पिछड़ा हुआ देश कहा जाता है इसीलिए अनेक देश जिनके पास अच्छे प्राकृतिक संसाधन हैं, फ़िर भी वे पिछड़े  माने जाते हैं। आज वैज्ञानिक आविष्कारों और औद्योगिककरण  के आधार पर ही किसी देश की प्रगति को आँका जाता रहा है। विज्ञान ने मानव को पूरी तरह बदल दिया है। मानव की प्रत्येक गतिविधियों में विज्ञान का हस्तक्षेप है। खाना, चलना, खुशी, गम सभी कार्य विज्ञान आधारित हो गए हैं। खाने के लिए विभिन्न पैक्ड फूड आज बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं चलने के लिए अत्याधुनिक परिवहन साधनों की भरमार है।

(1) आज उन्नत देश किसे कहा जाता है?

(i)औद्योगिक रूप से समृद्ध देश     (ii) सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश को

(iii) ताकतवर देश को                        (iv)प्राकृतिक संसाधन वाले देश को

(2) किसी देश की प्रगति मापने का आधार क्या है?

(i)औद्योगिककरण                 (ii) वैज्ञानिक आविष्कार

(iii)व्यवसायीकरण                 (iv) (i) और  (ii) दोनों

(3)विज्ञान ने मानव को कैसे बदल दिया?

(i) विज्ञान अधिक धनोपार्जन करता है (ii) विज्ञान ने संस्कृति को सुधारा है।

(iii)आविष्कारों द्वारा                             (iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं

(4) आज किन देशों को पिछड़ा कहा जाता है?

(i) औद्योगिक रूप से समृद्ध (ii) निम्न औद्योगिक स्तर वाले

(iii) अच्छे प्राकृतिक संसाधन वाले  (iv) कम प्राकृतिक संसाधन वाले

(5 निम्नलिखित कथन (A)तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढिए और उसके बाद दिये गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए।

कथन(A) : मानव की प्रत्येक गतिविधियों में विज्ञान का हस्तक्षेप है।

कारण (R): खाना, चलना, खुशी, गम सभी कार्य विज्ञान आधारित हो गए हैं। खाने के लिए विभिन्न पैक्ड फूड आज बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं चलने के लिए अत्याधुनिक परिवहन साधनों की भरमार है।

(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत है।

(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।

(iii) कथन (A) सही हैं लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

(iv) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। 

READ THIS ALSO 

पर्यायवाची शब्द// Synonyms

विलोम शब्द

’तुम कब जाओगे , अतिथि” के पाठ पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न // Objective Questions based on NCERT Sparsh-2 Ch 3 Grade 9th 'Tum Kab Jaoge, Atithi"

”तुम कब जाओगे , अतिथि’  के पाठ  पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न  // Objective Questions based on NCERT Sparsh-2 Ch 3 Grade 9th 'Tum Kab Jaoge, Atithi"

A.

उस दिन जब तुम आए थे, मेरा हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया। उसके बावजूद एक स्नेह-भीगी मुसकराहट के साथ मैं तुमसे गले मिला था और मेरी पत्नी ने तुम्हें सादर नमस्ते की थी। तुम्हारे सम्मान में ओ अतिथि , हमने रात के खाने को एकाएक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया था। तुम्हें स्मरण होगा कि दो सब्जियों और रायते के अलावा हमने मीठा भी बनाया था। इस सारे उत्साह और लगन के मूल में एक आशा थी । आशा थी कि दूसरे दिन किसी रेलगाड़ी से एक शानदार मेहमाननवाज़ी की छाप अपने हृदय में ले तुम चले जाओगे।                                                    (क)”अंदर-ही-अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।’” कहने से लेखक का आशय है –       

(i) लेखक का बटुआ अतिथि से डर गया।        (ii)पैसे खर्च होने का डर सता रहा था।

(iii) बटुए को ठंड लगने लगी।            (iv) बटुए में पैसे नहीं थे।

(ख) लेखक ने अतिथि के स्वागत में क्या किया?

(i)स्नेह-भीगी मुस्कान से गले मिला।  (ii) उच्च-मध्यम वर्ग का डिनर खिलाया।

(iii)खाने में मीठा बनाया।     (iv) उपरोक्त सभी

(ग) लेखक ने डिनर में अतिथि को क्या खिलाया?

(i)दो सब्जियाँ, रायता और मीठा     (ii) आइसक्रीम   

(iii) खिचड़ी                      (iv)  रोटी और दाल

(घ)अतिथि का शानदार स्वागत करने के मूल में आशा थी कि अतिथि

(i) उन्हें धन्यवाद कहेगा। (ii) दूसरे लोगों से तारीफ़ करेगा।

(iii)कुछ दिन और रुकेगा।     (iv) शानदार मेहमाननवाज़ी की याद लेकर जाएगा।

(ङ)उपरोक्त गद्यांश से आपको मध्यम वर्ग की किस स्थिति का पता चलता है?

(i) वे अतिथि देखकर खुश होते हैं।     (ii) वे अतिथियों को पसंद नहीं करते । 

(iii) उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति    (iv) समाज से अलग-थलग होना।

Answer> 

क.(ii)पैसे खर्च होने का डर सता रहा था।
ख. (iv) उपरोक्त सभी
ग.(i)दो सब्जियाँ, रायता और मीठा
घ.(iv) शानदार मेहमाननवाज़ी की याद लेकर जाएगा।
ङ.(iii) उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति 
 
 B.

तुम जहाँ बैठे निस्संकोच सिगरेट का धुआँ फेंक रहे हो, उसके ठीक सामने एक केलेंडर है। देख रहे हो ना ! इसकी तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ाती रहती हैं। विगत दो दिन से मैं तुम्हें दिखाकर तारीखें बदल रहा हूँ। तुम जानते हो, अगर तुम्हें हिसाब लगाना आता है कि यह चौथा दिन है, तुम्हारे सतत आतिथ्य का चौथा भारी दिन! पर तुम्हारे जाने की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती। तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके, तुमने एक अंतरंग निजी संबंध मुझसे स्थापित कर लिया, तुमने मेरी आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान देख ली, तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके। अब तुम लौट जाओ।

(क) लेखक कैलेंडर की तारीखें बदल कर क्या संकेत देना चाहता है?

(i) दिन बदल गया          (ii)समय जल्दी गुजर जाता है।   

(iii)कैलेंडर बहुत सुंदर है।     (iv) मेहमान को वापस जाने का इशारा।

(ख) लेखक कितने दिनों से तारीखें बदल रहा है?

(i) दो     (iii) तीन      (ii) चार     (iv) पाँच

(ग) अतिथि कौन सी छाप अंकित कर चुके ?

(i) भारी चरण कमलों की       (ii) सतत आतिथ्य की

(iii) नम्रता की              (iv) आर्थिक सीमा की

(घ) “तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके।“ का आशय है-

(i) अतिथि का सम्मान करना    (ii)लेखक का बज़ट गड़बड़ा जाना   

(iii) घर से मिट्टी बाहर निकालना   (iv) अपमानित करना ।

(ङ) तुमने मेरी आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान देख ली” रेखांकित वाक्यांश द्वारा क्या कहने का प्रयास किया है?

(i)  उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति   (ii) लेखक की दीवार बैंजनी थी।

(iii) अतिथि पर व्यंग्य करना       (iv)  रहस्य खोल देना।

Answer> 

क.(iv) मेहमान को वापस जाने का इशारा।
ख. (i) भारी चरण कमलों की   
ग.(i)दो सब्जियाँ, रायता और मीठा
घ.(ii)लेखक का बज़ट गड़बड़ा जाना 
ङ.(iii) उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति 
 

Monday, September 18, 2023

पर्यायवाची शब्द// Synonyms

 पर्यायवाची शब्द//  Synonyms

1. नीचे दिए गए शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए-

कठिनाइयाँ, झंझावातों, बागों,तम, ललाट, मार्ग 

उत्तर : 

  1. कठिनाइयाँ =  मुश्किलों, परेशानियों
  2.  झंझावातों  = तूफ़ानों , आँधियों 
  3. बागों =  बगीचों  , उपवनों , उद्यानों
  4. तम = अंधकार, अँधेरा
  5. ललाट  = मस्तक, माथा
  6. मार्ग =  राह , रास्ता , पथ

कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता: झाँसी की रानी

कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता: झाँसी की रानी 

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।

महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आई थी झांसी में।

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।

अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।

रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात?
जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

रानी रोईं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।

यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।

हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर,पटना ने भारी धूम मचाई थी,

जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।

लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।

ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजई रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।

अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।

पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।

घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता-नारी थी,

दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।

तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

कवयित्री:  सुभद्रा कुमारी चौहान जी

विराम चिह्न ‘Punctuation

 विराम चिह्न /Punctuation  छोड़ो मत मारो   मोटे वाक्यों को आप निम्न में से किसी एक प्रकार से पढ़ सकते हैं।  "छोड़ो ,मत मारो  ।"  &quo...