Tuesday, January 16, 2024

कविता ’इतने ऊँचे उठो'

 कविता इतने ऊँचे उठो'

इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।
देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति भेद की, धर्म-वेश की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥

नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो
नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो
नये राग को नूतन स्वर दो
भाषा को नूतन अक्षर दो
युग की नयी मूर्ति-रचना में
इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥

लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है
जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है
तोड़ो बन्धन, रुके न चिंतन
गति, जीवन का सत्य चिरन्तन
धारा के शाश्वत प्रवाह में
इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।

चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना
अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना
सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे
सब हैं प्रतिपल साथ हमारे
दो कुरूप को रूप सलोना
इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है॥

कविता इतने ऊँचे उठोका सप्रसंग भावार्थ

पद 1: इतने ऊँचे उठो ……………………………………….. मलय पवन है॥

प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै।प्रस्तुत पंक्तियों में, सभी भेदभावों से ऊपर उठकर समाज में समानता का भाव जगाने की बात कही गई है।

अर्थ: प्रस्तुत पद्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें नए समाज निर्माण में अपनी नई सोच को जाति, धर्म, रंग-द्वेष  आदि जैसे भेदभावों से ऊपर उठकर सभी को समानता की दृष्टि से देखना चाहिये। जिस प्रकार वर्षा सभी के ऊपर समान रूप से होती है उसी प्रकार हमें भी सभी के साथ समान रूप से पेश आना चाहिए। हमें नफरत की आग को समाप्त कर समाज में शीतल हवा की तरह सुख- शांति लाने का प्रयत्न करना चाहिए।  

 

पद 2 :नये हाथ से, ……………………………………. जितना स्वयं सृजन है॥

प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै।प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समाज में मौलिक कार्य करने और नव निर्माण करने का संदेश दिया है ।

अर्थ: इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि नए समाज के निर्माण में हमें आगे बढ़कर अपनी कल्पनाओं को आकार देकर उन्हे वास्तविक जीवन में लाने का प्रयत्न करना चाहिए। जिस प्रकार कोई कलाकार अपनी कूँची से अपने चित्रों में रंग भरता है, और जिस प्रकार संगीतकार अपने नए राग में स्वरों को पिरोता है, उसी प्रकार हमें भी अपने समाज को नया रूप देने के लिए सृजनात्मक बनना होगा और सृजन को हमें अपने अंदर मौलिक रूप से ग्रहण करना होगा।

 

पद3: लो अतीत से उतना ही ………………………… जितना परिवर्तन है।

प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै। प्रस्तुत पंक्तियों में भूतकाल की कुप्रथाओं को त्यागने और अच्छी बातों को ग्रहण करने का संदेश दे कर विकास करने को कहा है।

अर्थ: कवि कहते हैं कि हमे अतीत की कुप्रथाओं को छोड़कर केवल अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि ये अच्छी घटनाएँ ही हमारे भविष्य निर्माण में हमारे काम आएँगी जबकि पुरानी परंपराएँ हमें सदैव पीछे की ओर ही खींचेंगी, इनसे हमारा विकास अवरुद्ध होगा। कवि कहते हैं कि जिस तरह परिवर्तन सदैव होता रहता है उसी प्रकार हमें भी सभी पुरानी परंपराओं के बंधनों को तोड़कर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए,क्योंकि आगे बढ़ना ही जीवन है।

 

पद4: चाह रहे हम इस धरती………………………… जितना आकर्षण है॥

प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ’गुँजन’ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक इतने ऊँचे उठोहै। इस कविता के कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीहै। प्रस्तुत पंक्तियों में, सभी भेदभावों से ऊपर उठकर समाज में समानता का भाव जगाने की बात कही गई है।

अर्थ: कवि कहते हैं कि हम धरती को स्वर्ग की तरह सुंदर बनाना चाहते हैं और और यदि कहीं स्वर्ग है तो उसे धरती पर लाना चाह्ते हैं ।सूरज , चन्द्र , चाँदनी और तारे हर क्षण हमारे साथ हैं ।कवि कहते हैं कि रूढ़िवादी परंपराओं की जकड़न से हट कर युवाओं को नई सोच को बढ़ावा देना चाहिए । जिससे परिवर्तन की ऐसी धारा बहेगी कि धरती स्वर्ग समान हो जाएगी ।

 


Saturday, January 6, 2024

चित्र वर्णन 1

 चित्र वर्णन 1

सीबीएसई में छोटी कक्षाओं से लेकर कक्षा 9वीं तक चित्र वर्णन एक मुख्य रचनात्मक प्रश्न है। इसमें छात्र को कोई साधारण सा चित्र देकर उसका वर्णन करने को कहा जाता है। यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे पाँच अंक का प्रश्न है। चित्र वर्णन की सीमा 50 से 60 शब्दों तक है। इसीलिए कम शब्दों में अधिक भाव डल कर चित्र वर्णन किया जाना चाहिए।

चित्र वर्णन  का उद्देश्य छात्र की लेखन क्षमता का विकास है। छात्रों की लेखन क्षमता बढ़ाने के लिए उनकी आयु के अनूकूल भिन्न -भिन्न चित्र रखे जाने चाहिए और उसी अनुसार एक बच्चे से उस चित्र के वर्णन की अपेक्षा रखी जानी चाहिए। एक छोटी कक्षा के बच्चे से आशा की जाती है कि  बच्चा चित्र में दिखाई देने वाली मुख्य वस्तुओं को पहचानते हुए उन पर वाक्य बना सकने की क्षमता रखे। वहीं कक्षा आठवीं और नौवीं के बच्चों से अपेक्षा की जाती है कि वे चित्र के पीछॆ छिपे भाव और उस चित्र को देखकर उस विषय पर मन में आने वाले  भावों को कलमबद्ध कर सके। 

नीचे इसे उदाहरण द्वारा समझाया गया है- 

 चित्र वर्णन : कक्षा 4,5 और 6 के छात्रों द्वारा-


यह बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। इसमें पाँच बच्चे हैं। एक लड़के ने बैट पकड़ा है। बैट उपर उठा रखा है।  दूसरे बच्चे फील्डिंग कर रहे हैं। वह रोड पर खेल रहे हैं हैं। तीन लकड़ियाँ  स्टंप की तरह लगाई हैं।   पेड़ दिख रहे हैं । नीचे एक टोपी गिरी हुई है। पत्थर भी गिरे हुए हैं। 

चित्र वर्णन : कक्षा 7, 8 और 9वीं के छात्रों द्वारा

यह एक गाँव का दृश्य दिख रहा है जिसमें कुछ बच्चे  समुद्र किनारे क्रिकेट खेल रहे हैं। क्रिकेट एक मज़ेदार खेल है। इसकी एक खूबी यह है कि इसे दो बच्चे भी खेल सकते है और पूरी टीम के साथ भी। दूसरी बात यह कि इसे कहीं भी कभी भी खेला जा सकता है,इसीलिए क्रिकेट इतना अधिक प्रचलित हो गया।  गाँव के बच्चे कम सुविधा में लकड़ी के स्टंप लगाकर ही खेल रहे हैं। इनके पास खेलने के लिए उचित सामान भी नहीं है।  इन्हें इस प्रकार खेलने से चोट भी लग सकती है। मैं चाहता हूँ कि हर बच्चे के पास खेलने के लिए अच्छा मैदान और अच्छॆ उपकरण हों। 

आशा है कि एक ही चित्र पर दो अलग वर्गों के लिखने का स्तर  किस तरह होना चाहिए , यह अंतर समझ आ गया होगा।  7वीं , 8वीं और नौंवीं के बच्चों चित्र को अलग दृष्टिकोण से देखकर अपने लेखन-कला को उभारना चाहिए और मौलिक विचारों को प्रकट करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। 



विराम चिह्न ‘Punctuation

 विराम चिह्न /Punctuation  छोड़ो मत मारो   मोटे वाक्यों को आप निम्न में से किसी एक प्रकार से पढ़ सकते हैं।  "छोड़ो ,मत मारो  ।"  &quo...